नई दिल्ली: भारत राजधानी दिल्ली में अमेरिकी मिसाइलों के सुरक्षा कवच को तैनात करने की योजना बना रहा है लेकिन मिसाइल डिफेंस सिस्टम की बेहद महंगी कीमत परेशानी का सबब बन रही है। अमेरिका के 9/11 जैसे हमले या दुश्मन के ड्रोन या विमान से राजधानी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस नए मिसाइल सिस्टम की तैनाती की योजना बनाई जा रही है।
अमेरिकी सरकार ने बीते सप्ताह विदेशी भारतीय वायुसेना के लिए कई प्रकार के रडार और मिसाइल प्रणाली सहित लगभग 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर कीमत में एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) बेचने को मंजूरी दी थी। यह समझौता दो सरकारों के बीच किए जाने की योजना पर विचार हो रहा है।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सूत्रों की मानें तो 'इस परियोजना के लिए अमेरिकियों ने लगभग 1.9 बिलियन डॉलर की कीमत तय की है, जो भारत की उम्मीद से लगभग दोगुनी है। इस उच्च लागत से अधिकारी चिंतित हैं और इसके चलते अन्य विकल्पों पर ध्यान देना पड़ सकता है।'
एयरफोर्स चाहती है मिसाइल डिफेंस सिस्टम: भारतीय वायुसेना (IAF) की ओर से दिल्ली क्षेत्र रक्षा परियोजना के तहत नई दिल्ली में VVIP सहित संभावित लक्ष्यों की सुरक्षा के लिए मौजूदा कई सालों से तैनात की गई रूसी प्रणालियों को बदलने के लिए भारत नए सिस्टम को खरीदने पर विचार कर रहा है। इसके लिए अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम में रुचि दिखाई जा रही थी।
सूत्रों ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान अमेरिकी पक्ष के साथ चर्चा में यह मुद्दा उठ सकता है। ट्रंप 24-25 फरवरी को अहमदाबाद और नई दिल्ली का दौरा कर रहे हैं।
NASAMS मिसाइल शील्ड: दिल्ली की सुरक्षा के लिए जिस अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को खरीदने पर विचार किया जा रहा है उसका नाम- NASAMS मिसाइल शील्ड है। इसमें पांच एएन / एमपीक्यू -64 एफएल सेंटिनल रडार सिस्टम, फायर डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर (एफडीसी), इलेक्ट्रिकल ऑप्टिकल / इन्फ्रारेड सेंसर सिस्टम और मल्टी-स्पेक्ट्रल टारगेटिंग सिस्टम-मॉडल ए (एमटीएस-ए) शामिल हैं।
अमेरिकी प्रणाली में क्या- क्या: अगर इस सिस्टम की मिसाइलों की बात करें तो इसमें 118 AMRAAM AIM-120C-7 / C-8 मिसाइल, तीन AMRAAM गाइडेंस सेक्शन, चार AMRAAM कंट्रोल सेक्शन और 134 स्ट्रिंगर FIM-92L मिसाइल के साथ-साथ डुअल माउंट स्टिंगर डिफेंस सिस्टम और व्हीकल माउंटेड स्टिंगर रैपिड रेंजर एयर डिफेंस शामिल हैं।
अमेरिकी हथियारों की कीमत बढ़ा रही मुश्किल: मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तरह अन्य परियोजनाओं के मामले में भी भारत के लिए अमेरिकी हथियारों की कीमत चिंता का सबब बन रही है। भारत अमेरिका से 30 हमलावर और टोही प्रिडेटर ड्रोन खरीदना चाहता है जिसके लिए करीब 100 मिलियन से अधिक खर्च करने होंगे।
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