नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए भारत-चीन सीमा मामलों पर वर्किंग मेकनिज्म फॉर कंसलटेशन एंड कोआर्डिनेशन की वर्चुअल बैठक बुधवार को हो सकती है। इस वार्ता की अगुवाई दोनों देशों के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी करते हैं। भारत और चीन की सीमा पर शांति एवं सौहार्द कायम करने के लिए इस तंत्र की स्थापना साल 2012 में हुई। इसके लिए इस तंत्र का इस्तेमाल सीमा पर सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा सहित बातचीत एवं सहयोग में मजबूती लाने के लिए विचारों के आदान-प्रदान में किया जाता रहा है।
सोमवार को कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई
बता दें कि भारत और चीन दोनों देशों के बीच गत सोमवार को कोर कमांडर स्तर पर वार्ता हुई। बताया जा रहा है कि इस बातचीत में दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर में टकराव कम करने पर सहमति बनी है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत मोल्डो में करीब 11 घंटे तक चली। भारत की तरफ से इस बैठक में 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल हुए।
हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद
गत 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। इस घटना में भारत के 20 जवान शहीद हो गए जबकि चीन की तरफ भी सैनिकों के मारे जाने की खबर है लेकिन इस बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया गया है। भारत का कहना है कि गलवान घाटी में चीन यथास्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश कर रहा था जिसे रोकने पर यह हिंसक घटना हुई। विदेश मंत्रालय का यह भी कहना है कि सीमा पर उच्च स्तर पर बनी सहमति का पालन यदि चीन की तरफ से किया गया होता तो इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता था।
तनाव कम करने की हो रही कोशिश
लद्दाख में हुई घटना के बाद उपजे तनाव को कम करने की कोशिश दोनों देशों की तरफ से की जा रही है। गत 16 जून को चीन के उप विदेश मंत्री लू झाहुई और भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी के बीच बीजिंग में बातचीत हुई। इसके बाद चीन के विदेश मंत्री यांग यी के साथ टेलिफोन पर एस जयशंकर ने बात की। इस बातचीत में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि गलवान घाटी में जो कुछ हुआ उसके लिए चीन जिम्मेदार है और इस घटना को 'सोच समझकर' अंजाम दिया गया।
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