नई दिल्ली: भारत औऱ चीन के बीच पिछले काफी समय से तनाव चल रहा है। यह तनाव उस समय और अधिक हो गया जब गलवान वैली में हुई हिंसक झड़प के दौरान 20 से अधिक सैनिक शहीद हो गए। हालांकि इस दौरान चीन के 40 से अधिक सैनिक हताहत/घायल हुए। इस तनातनी के बीच भारत की तीनों सेवाएं बिल्कुल चौकस हैं वायुसेना ने लद्दाख में अपनी गश्त बढ़ा दी है। शुक्रवार को जहां वायुसेना के फाइटर और ट्रांसपोर्ट विमान विमानों ने अपनी उड़ान भरी वहीं जमीन पर सैनिक मजबूती से तैनात खड़े हुए नजर आए।
आपसी तालमेल मजबूत करना था लक्ष्य
इस उड़ान का मकसद आपसी सामंजस्य को और मजबूत करना था। इस दौरान लद्दाख के आसमान में लड़ाकू विमानों की गर्जना सुनाई दी। वायुसेना के सुखोई जैसे फाइटर प्लेना और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस चिनूक जैसे हेलीकॉप्टर आसमान में उड़ान भरते नजर आए हैं।। एलएसी पर चल रहे तनावपूर्ण माहौल के बीच हुए इसे चीन के लिए एक संकेत के तौर पर भी देखा जा सकता है। भारत किसी भी मामले पर इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की तैनाती कम नहीं करना चाहता है।
विदेश मंत्रालय की चीन को खरी-खरी
इससे पहले चीन के मौजूदा रूख पर विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था, 'वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी पक्ष का व्यवहार मौजूदा समझौतों के प्रति उसके पूर्ण असम्मान को दर्शाता है। चीन वहां मई की शुरुआत से ही बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रहा था, ऐसे में भारत को जवाब में तैनाती करनी ही पड़ी। गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की। भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कभी भी यथास्थिति को बदलने का प्रयास नहीं किया'
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