राजनीति का अपना मिजाज होता है। नेता कहते हैं कि स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र की यही भावना होनी चाहिए कि जब हम मिले तो किसी तरह कटुता ना रहे। विरोध अपनी जगह संबंध अपनी जगह। हकीकत में ऐसा कुछ होता है वो शोध का विषय है। लेकिन संसद परिसर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई जो सुखद था। राजनीतिक तौर पर एक दूसरे के धूरविरोधी रहे अमित शाह और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम की मुलाकात हो गई। दोनों ने एक दूसरे से कन्नी नहीं काटी बल्कि एक दूसके को अभिवादन किया। यह दृश्य वाकई हैरत में डालने वाला था।
कांग्रेस का इतिहास संघर्ष का रहा है
एनडीए पार्ट वन में आपने देखा होगा कि जब पी चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई तो सियासी तौर पर माहौल कितना खराब हो गया था। कांग्रेस के नेताओं ने कहा था कि यह तो लोकतंत्र पर सीधे तौर पर हमला है। सरकार के विरोध का मतलब हो गया है कि मोदी और शाह की सरकार व्यक्तिगत रंजिश निकाल रही है। संवैधानिक संस्थानों का खुला दुरुपयोग किया जा रहा है। यह एक तरह से संवैधानिक व्यवस्था का क्षरण है। बीजेपी जिस तरह से अपने राजनीतिक एजेंडे को उतारने के लिए ईडी,सीबीआई और दूसरी एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल कर रही है वो आगे की राह को और मुश्किल करने वाली होगी। लेकिन कांग्रेस का इतिहास संघर्षों का रहा है और हम अपनी लड़ाई को जारी रखेंगे।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है की राजनीति की दुनिया में कभी कुछ स्थाई नहीं होता है। सरकार में बने रहने के लिए या सरकार को बचाए रखने के लिए तरह तरह के फैसले किए जाते हैं। अगर आप पी चिदंबरम के मामले को देखें तो यूपीए की सरकार में जिस तरह से अमित शाह और नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई हुई उसे क्या कहेंगे। यह सिर्फ एक ऐसी मुलाकात थी जिसमें दो शख्सियतें आमने सामने आ गईं तो निश्चित तौर पर भारतीय संस्कृति ये है कि चाहे किसी से आपकी कितनी खटास क्यों ना हो उसे दूर रख एक दूसरे का कुशलक्षेम पूछना चाहिए।
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