नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय गृह मंत्री ने 1975 के आपातकाल के लिए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। शाह ने गुरुवार को कहा कि एक परिवार की सत्ता की लालसा ने देश पर आपातकाल थोप दिया। उन्होंने कहा कि रातोंरात देश एक जेल में तब्दील हो गया। इस दौरान प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई और गरीबों एवं वंचितों पर अत्याचार हुए।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक अमित शाह ने कहा, 'आज से 45 साल पहले एक परिवार की सत्ता की लालच ने देश में आपातकाल थोप दिया। रातोंरात देश एक तरह की जेल में तब्दील हो गया। एक झटके में प्रेस की आजादी एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल दिया गया। इस दौरान गरीब एवं वंचितों पर अत्याचार हुए।'
कांग्रेस में अभी भी आपातकाल वाली मानसिकता
शाह ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'लाखों लोगों के प्रयासों के चलते देश को आपातकाल से छुटकारा मिल सका। देश में लोकतंत्र की फिर से बहाली हुई लेकिन यह लोकतंत्र कांग्रेस से अनुपस्थित रहा। एक परिवार के हित पार्टी एवं देश के हितों पर भारी रहे। कांग्रेस की मानसिकता में आज भी बदलाव नहीं हुआ है।' गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की एक बैठक कुछ दिनों पहले हुई थी। इस बैठक में पार्टी के कुछ युवा एवं वरिष्ठ सदस्यों ने कुछ मुद्दे उठाए लेकिन उनकी बातों को नहीं सुना गया। यहां तक कि एक प्रवक्ता को 'असम्मानित तरीके से' पार्टी से बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा, 'सच्चाई यह है कि कांग्रेस में नेता दम घुटने जैसा महसूस कर रहे हैं।'
देश में 21 महीनों तक रहा आपातकाल
देश में आपातकाल दौर 21 महीनों तक 1975 से 1977 तक रहा। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को लगा कि पार्टी में उनकी पकड़ कमजोर हो रही है और विपक्ष ताकतवर हो रहा है। इस आशंका में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 352 का इस्तेमाल करते हुए देश में आपातकाल लागू कर दिया। बताया जाता है कि अपने खिलाफ देश में बन रहे राजनीतिक माहौल से इंदिरा गांधी घबरा गई थीं। इसे टालने के लिए उन्होंने देश में आपातकाल लागू करने का फैसला किया। 24 जून की रात से ही विपक्ष के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर उन्हें जेल में डाला जाने लगा
आम चुनाव में कांग्रेस की हुई हार
इसके बाद 21 महीनों के बाद 21 मार्च 1977 को आपातकाल देश से हटाया गया। आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस की भारी हार हुई और देश में जनता पार्टी की सरकार बनी। जनता पार्टी की सरकार भी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई। अपने अंदरूरनी मदभेदों एवं खींचतान के चलते यह सरकार अपना पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस फिर से सत्ता में लौटी और इंदिर गांधी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं।
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