Amit Shah Exclusive Interview: गुजरात दंगे की बड़ी वजह गोधरा में ट्रेन का जलना था, किसी को कुछ भी समझ में नहीं आया

गुजरात दंगा मामले में जाकिया जाफरी की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कुछ खास टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि मामले को सनसनीखेज बनाया गया। इसके साथ ही तीस्ता सीतलवाड़ की भूमिका पर भी सवाल उठाए। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी की एसआईटी की क्लीन चिट पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी।

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अमित शाह, गृहमंत्री 
मुख्य बातें
  • 2002 में हुए थे गुजरात दंगे
  • एसआईटी जांच में नरेंद्र मोदी की मिली क्लीन चिट
  • क्लीन चिट का मामला अदालत में गया, अदालत से भी क्लीन चिट

साल 2002 का था, तारीख 27 और 28 फरवरी की थी। 27 फरवरी को गोधरा कांड से देश दहल गया और उसके बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसाइटी में कुल 68 लोग मारे गए जिसमें कांग्रेस के सांसद रहे एहसान जाफरी थे। इन दोनों घटना के बाद गुजरात दंगों की चपेट में आ गया। जिस समय गुजरात दंगों के दौर से गुजर रहा था उस वक्त सीएम नरेंद्र मोदी थे। नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा कि उन्होंने जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई। इस मामले में सियासत जमकर हुई, अदालत की दहलीज तक केस गया। नरेंद्र मोदी के खिलाफ एसआईटी जांच हुई, क्लीन चिट मिली। लेकिन इस क्लीन चिट पर सवाल उठाया जाता रहा। गुलबर्गा कांड में मारे गए अहसान जाफरी की बेवा जाकिया जाफरी ने अदालत के हर दरवाजे को खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। हालांकि उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2002 से लेकर आज तक जिन राजनीतिक आरोपों का समाना पीएम नरेंद्र मोदी को करना पड़ा उसके बारे में गृहमंत्री अमित शाह ने खुलकर बातचीत की। 

अमित शाह की खास बातें
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे आरोपों को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि आरोप राजनीतिक है। देश का एक बड़ा नेता पिछले 18-19 साल से चुपचाप आरोपों को सुनता रहा। विषपान किया तो निश्चित तौर पर फैसला सुकुन भरा होगा। इस तरह के ट्रायल का सामना कोई मजबूत व्यक्ति ही कर सकता है। मोदी जी न्यायिक प्रक्रिया के दौरान कुछ नहीं कहा चुपचाप सभी आरोपों को सहते रहे। एक शख्स के खिलाफ लगातार निंदा भरी बात कही जाती रही हो,एक मशीनरी बदनाम करने के लिए जुटी हुई वैसी सूरत में कुछ ना बोलना बड़ी बात है। वो शख्स न्यायिक फैसले का इंतजार करता रहा। 

गुजरात में दंगे की मूल वजह गोधरा में ट्रेन का जलाना
गुजरात दंगे की मूल वजह गोधरा में ट्रेन का जलाना था। 16 दिन की बच्ची को मैंने उसकी मां की गोद में जलते देखा था।  गोधरा की वजह से एक तरह का तनाव था। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो गया। इसके साथ ही किसी तरह का प्रोफेशनल इनपुट भी नहीं था और उसके बाद जो कुछ हुआ वो राजनीतिक तौर पर प्रेरित था। गुजरात दंगों में मुसलमानों के मारे जाने पर अमित शाह ने कहा कि जो जिस रंग का चश्मा पहनता है उसे वैसा ही दिखाई देता है। अगर मुसलमानों के मारे जाने की बात होती है तो गोधरा में ट्रेन में 60 और लोग भी जलाए गए थे। सच तो यह है कि  एक तरह से गुजरात सरकार को बदनाम करने की कोशिश की गई। हम लोगों की नीयत दंगे को लेकर अपने लिए कुछ हासिल करना नहीं है। मुझे भी जेल में डाला गया। लेकिन मैंने तो कोई आंदोलन नहीं किया। जब मैं जेल में था तो भी पार्टी साथ में थी। मैं तो भाग्य में यकीन करता हूं। जिन लोगों ने मुझे फंसाया उससे तो फायदा ही हुआ।  


मोदी जी के खिलाफ सभी आरोप खारिज

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मोदी जी के खिलाफ सभी आरोप खारिज हो गए। निश्चित तौर पर कुछ लोग इस तरह की मुहिम के पीछे थे उनका सच सामने आ चुका है। मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी लेकिन कोई धरना प्रदर्शन नहीं हुआ। मेरी खुद गिरफ्तारी हुई लेकिन किसी तरह का धरना प्रदर्शन नहीं हुआ। जिन लोगों ने आरोप लगाए अगर उनकी अंतरआत्मा सही है तो मोदी जी और बीजेपी से माफी मांगनी चाहिए।


कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन नहीं हुआ था
एसआईटी का गठन कोर्ट के आदेश पर नहीं किया गया था। एक एनजीओ की मांग पर एसआईटी का गठन हुआ। गुजरात सरकार ने अदालत के सामने बहस नहीं की और फैसला सहमति पर ही था। दंगों के संबंध में कोर्ट ने साफ कर दिया कि ट्रेन के डिब्बे को जलाए जाने के बाद जो दंगा हुआ वो सुनियोजित नहीं था स्वप्रेरित था। अदालत ने माना कि गुजरात के सीएम रहते हुए सीएम नरेंद्र मोदी ने बार बार शांति की अपील की थी। जहां तक सेना की बात है तो तैनाती में देरी नहीं हुई बल्कि आने में देरी हुई थी। सच तो यह है कि गुजरात बंद के ऐलान के साथ ही सेना बुला ली गई थी।

अब पत्रकारों और एनजीओ की जिम्मेदारी बनती है
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब तो उन पत्रकारों और एनजीओ की जिम्मेदारी बनती है कि वो बताएं कि आखिर वो कैसे एक शख्स और पार्टी को बदनाम कर रहे थे।खास तौर पर तीस्ता सीतलवाड़ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वो तो हर थाने और जगहों पर जाती थीं और नरेंद्र ंमोदी के साथ साथ पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की। अब सवाल यह है कि क्या वो अपने आरोपों के लिए माफी मांगेंगी। जाकिया जाफरी के केस को कौन लड़ रहा था। तीस्ता सीतलवाड़ को कौन मदद कर रहा था सबको पता है। भारत सरकार की तरफ से तीस्ता सीतलवाड़ को मदद दी जा रही थी। उस समय की केंद्र सरकार का सिर्फ एक मकसद था कि किसी तरह मोदी जी को दंगों में लिप्त बताया जाए।

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