RCEP में शामिल नहीं हुआ भारत, अमित शाह ने कहा- फैसला मोदी के मजबूत नेतृत्व को दर्शाता है

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Updated Nov 04, 2019 | 23:20 IST | भाषा

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्षों से यह कड़ा रुख रहा है कि अगर हमारे हितों का ध्यान नहीं रखा गया तो हम समझौता नहीं करेंगे और यह अतीत की तुलना में स्वागत योग्य कदम है।

PM modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCSP) पर हस्ताक्षर न करने का भारत का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और सभी परिस्थितियों में राष्ट्रीय हित की रक्षा करने के दृढ़ संकल्प को दिखाता है। इससे पहले, मोदी ने कहा कि भारत आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत नई दिल्ली के मुद्दों और चिंताओं को संतोषजनक रूप से हल करने में विफल रही।

सिलसिलेवार ट्वीट्स में शाह ने कहा कि इस फैसले से भारत के किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सेक्टर, डेयरी और विनिर्माण सेक्टरों को सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा, 'आरसीईपी पर हस्ताक्षर न करने का भारत का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और सभी परिस्थितियों में राष्ट्रीय हित सुनिश्चित करने के दृढ़ संकल्प का परिणाम है।' 

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्षों से यह कड़ा रुख रहा है कि अगर हमारे हितों का ध्यान नहीं रखा गया तो हम समझौता नहीं करेंगे और यह अतीत की तुलना में स्वागत योग्य कदम है जब कमजोर संप्रग सरकार व्यापार के मुद्दे पर झुक गयी थी और राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं कर सकी।

वहीं भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरसीईपी में भारत के शामिल नहीं होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश ने अपने आर्थिक हितों को त्याग दिया लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की तरह अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका, जिन्होंने कमजोर व्यापार समझौतों के जरिये भारतीय बाजार को खोल दिया था।

नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए भारत के हितों की रक्षा के लिये प्रधानमंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा, 'उनके नेतृत्व में भारत की विदेश नीति में 'पहले भारत' की झलक दिखाई देती है।' मोदी को एक सख्त वार्ताकार और निर्णायक नेता करार देते हुए नड्डा ने कहा कि भारत ने अपने आर्थिक हितों को त्याग दिया लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकारों की तरह अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका, जिसने कमजोर व्यापार समझौतों के जरिये भारतीय बाजार को खोल दिया था। 

उन्होंने कहा कि मोदी ने फिर से गरीबों के हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है और भारत के हितों के आधार पर आरसीईपी में शामिल नहीं होने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
आरसीईपी में 10 आसियान देशों के अलावा छह मुक्त व्यापार साझेदार चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। भारत ने आरसीईपी से बाहर निकलने का फैसला लिया है। मूल आरसीईपी का लक्ष्य 3.6 अरब लोगों की आबादी वाले इन 16 देशों के बीच दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त-व्यापार क्षेत्र बनाना है।

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