नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के कई नेताओं को उनका हक नहीं मिला और उनके योगदान को कम करने के लिए वर्षों से प्रयास किए गए हैं। अमित शाह ने पोर्ट ब्लेयर में कई विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के दौरान ये बात कही।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में चमकीला ध्रुव सितारा नेताजी को उतना महत्व नहीं मिला जितना उन्हें मिलना चाहिए था। वर्षों से स्वतंत्रता आंदोलन के कई जाने-माने नेताओं और उनके योगदान को कमतर आंकने का प्रयास किया गया। लेकिन अब समय आ गया है कि सभी को इतिहास में अपना उचित स्थान मिल जाए। जिन्होंने योगदान दिया और अपने जीवन का बलिदान दिया, उन्हें इतिहास में अपना गौरवपूर्ण स्थान मिलना चाहिए और इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखने का फैसला किया।
शाह ने कहा कि सरदार पटेल के साथ भी ऐसा ही अन्याय हुआ है। भारतीय गणतंत्र आज संभव नहीं होता अगर सरदार पटेल ने डेढ़ साल से भी कम समय में 550 से अधिक रियासतों को भारत का हिस्सा नहीं बनाया होता। अंग्रेजों ने जो करना था, वह किया, लेकिन सरदार पटेल ने सभी रियासतों को भारतीय संघ में लाने और एक मजबूत भारत बनाने का काम पूरा किया। सरदार साहब को भी उतना सम्मान नहीं मिला जितना आजादी के बाद मिलना चाहिए था। लेकिन इतिहास खुद को दोहराता है, चाहे किसी के साथ कितना भी अन्याय क्यों न हो, अच्छे काम कभी छिपे नहीं होते और आज केवड़िया में सरदार साहब की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा (पीएम) नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित की गई है, जिसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।
गृह मंत्री अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। शनिवार को उन्होंने 299 करोड़ रुपए की 14 परियोजनाओं का उद्घाटन किया और 643 करोड़ की 12 परियोजनाओं की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि सरकार ने उद्घाटन किए गए पुल का नाम आजाद हिंद फौज ब्रिज रखने का फैसला किया है। इस ब्रिज से गुजरने वाला हर व्यक्ति नेताजी के असाधारण साहस व पराक्रम से प्रेरणा लेकर देश की आजादी के लिए उनके त्याग व संघर्ष को हमेशा श्रद्धांजली देता हुआ गुजरेगा।
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