केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद में छठी अखिल भारतीय जेल ड्यूटी मीट का उद्घाटन किया। इस अवसर पर शाह ने सजायाफ्ता कैदियों को लेकर कई अहम बातें कहीं। शाह ने कहा कि समाज में जेलों को किस नजरिए से देखा जाता है, इसे बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जेल में बंद प्रत्येक व्यक्ति स्वभाव से अपराधी नहीं होता, कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां होती हैं जो उनकी संलिप्तता को मजबूर करती हैं।
वहां उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, 'जेल के अंदर सजायाफ्ता जो कैदी होते हैं, हर कैदी स्वभाव से क्रिमिनल नहीं होता है। कई बार कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती है कि उनको अलग-अलग गुनाह में उनका इन्वॉल्वमेंट आता है और सजा भी होती है। यह समाज को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए बहुत जरूरी प्रक्रिया है। दंड ही नहीं होगा तो भय नहीं होगा, भय नहीं होगा तो डिसीप्लेन नहीं होगा, डिसीप्लेन नहीं होगा तो स्वस्थ्य समाज नहीं बन सकता है। इसलिए दंड की प्रक्रिया बहुत जरूरी है।'
जेल प्रशासन से आग्रह करते हुए शाह ने कहा, 'जेल प्रशासन का जिम्मेदारी, जो स्वभाव से क्रिमिनल नहीं है, जो Born Criminal नहीं है, जो आदतन क्रिमिनल नहीं है, वो सारे कैदियों को समाज में पुर्नस्थापित करने के लिए जेल एक माध्यम बनना चाहिए, कारागार एक माध्यम बनना चाहिए। जेल प्रशासन इस दिशा में जाना चाहिए। जिनको सजा होती है उनमें से 90 प्रतिशत कैदी ऐसे होते हैं, जिनका समाज में पुर्नवासन जरूरी होता है। मैं केवल मानवीय दृष्टिकोण से नहीं कह रहा हूं, ये कानूनी रूप से भी है।'
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