विजयवाड़ा: देश के अधिकांश हिस्सों में मासिक धर्म को एक वर्जित विषय माना जाता है और इसके बारे में चर्चा करने से बचा जाता है। रूढ़ीवादी परंपराओं की वजह से अधिकांश महिलाओं और लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान कई तरह की दिक्कतों से जूझना पड़ता है। इस कलंक से निपटने और व्यक्तिगत स्वच्छता को प्राथमिकता देने की दिशा मेंआंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मंगलवार को 'स्वच्छा' कार्यक्रम शुरू किया। 'स्वच्छा' (अर्थात् स्वतंत्रता) का उद्देश्य किशोर लड़कियों और महिलाओं में स्वास्थ्य और मासिक धर्म स्वच्छता तक सस्ती पहुंच सुनिश्चित करना है।
इस पहल के तहत, राज्य सरकार सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्राओं को अच्छी गुणवत्ता वाले ब्रांडेड सैनिटरी नैपकिन मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। 32 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय से राज्य भर के सभी सरकारी स्कूलों और इंटरमीडिएट कॉलेजों में 7वीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली लगभग 10 लाख किशोरियों को हर महीने दस सैनिटरी नैपकिन दिए जाएंगे।
प्रत्येक छात्रा को प्रति वर्ष कुल 120 नैपकिन आवंटित किए जाते हैं, यहां तक कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी, छात्रों को स्कूल बंद होने से पहले उनका पूरा कोटा दिया जाएगा। मुफ्त ब्रांडेड सैनिटरी उत्पादों की आपूर्ति राज्य सरकार ने पी एंड जी और नाइन प्राइवेट लिमिटेड जैसे कॉर्पोरेट समूहों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। सरकारी स्कूलों में आपूर्ति किए जा रहे ब्रांड व्हिस्पर और नाइन के हैं।
इसके अतिरिक्त, हस्ताक्षरित एमओयू के माध्यम से, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रहने वाली लगभग 1 करोड़ महिलाओं को वाईएसआर चेयुथा रिटेल स्टोर्स पर सैनिटरी नैपकिन कम कीमतों पर बेचे जाएंगे। प्रत्येक स्कूल में एक महिला शिक्षक को एक नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जो छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति, निपटान के सुरक्षित तरीके औ हर तरह से मदद करेगी। इसके अलावा निपटान के एक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल तरीके के लिए, राज्य सरकार ने स्वच्छ आंध्र प्रदेश (CLAP) पहल के माध्यम से राज्य भर में 6,417 नष्ट करने वाले संयत्र स्थापित किए हैं।
मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कहा,' हम एक ऐसी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं जो दृढ़ता से मानती है कि इतिहास बदलने की शक्ति हमारे राज्य की महिलाओं के पास है आइए हम उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें।' मुख्यमंत्री ने कुछ रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि इस देश में लगभग 23 प्रतिशत लड़कियां मासिक धर्म के दौरान स्कूल और कॉलेज नहीं जाती हैं और इन परिस्थितियों को बदलने के लिए, राज्य सरकार सरकारी संस्थान में शौचालयों में सुधार कर रही है और ‘स्वच्छ’ कार्यक्रम शुरु कर रही है।
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