नई दिल्ली : 1971 के भारत-पाक युद्ध के 50वें विजय दिवस पर देश मुक्तियोद्धाओं, वीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के वीर जवानों की वीरता और बलिदान को याद कर रहा है। देश भर में समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि 1971 का भारत-पाक युद्ध भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय है। भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान को मात दी थी। इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। इस दिन को ‘विजय दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार के गृह मंत्री अनिल बिज ने इस मौके पर अलग बयान देकर नई बहस छेड़ दी है।
अनिल विज ने इस युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने युद्ध के बाद शिमला समझौते पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उस वक्त की सरकार चाहती तो पीओके आज हमारा होता। उन्होंने कहा कि 1971 में युद्ध के मैदान में सैनिकों द्वारा जीती गई जंग राजनेता शिमला समझौते के टेबल पर हार गए। हमारे पास 90 हजार युद्धबंदी थे। अगर हम चाहते तो पाकिस्तान से बारगेन कर सकते थे। हम पाकिस्तान से पीओके लेने की मांग कर सकते थे। लेकिन हमने ऐसा कुछ नहीं किया। ये बहुत बड़ी भूल थी जिसको हम आज तक भुगत रहे हैं। इन्होंने उनके साथ कोई भी समझौता नहीं किया। हमारे सैनिक आज भी उनकी जेलों में हैं।
1971 में आज ही के दिन पूर्वी पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी और पूर्वी पाकिस्तान में स्थित पाकिस्तानी सैन्य बलों के कमांडर ने बांग्लादेश के गठन के लिए ‘इंन्स्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर’ पर हस्ताक्षर किए थे। नियाजी ने ढाका में भारतीय और बांग्लादेश बलों का प्रतिनिधित्व कर रहे जगजीत सिंह अरोरा की उपस्थिति में ये हस्ताक्षर किए थे। 1971 में नौ महीने तक चले युद्ध के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया।
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