क्या लद्दाख में बनेगा दूसरा डोकलाम! तीन जगहों पर आमने-सामने हैं भारत और चीन 

देश
आलोक राव
Updated May 25, 2020 | 14:05 IST

India and China forces face off near LAC: साल 2017 में भूटान सीम के पास स्थित डोकलाम में चीन की ओर से बनाए जा रहे सड़क निर्माण को भारत ने रोक दिया था जिसके बाद यहां 72 दिनों तक गतिरोध जारी रहा।

Another Doklam in Ladakh, India and China forces face off near LAC
लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में चीनी सैनिकों ने किया है अतिक्रमण। फाइल फोटो  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • लद्दाख के पूर्वी भाग में तीन जगहों पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने
  • साल 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के बीच चला था 72 दिन गतिरोध
  • एलएसी के पास चीनी सैनिकों ने किया है अतिक्रमण, भारत की है पैनी नजर

नई दिल्ली : देश के उत्तरी सीमा पर हालात तनावपूर्ण होने लगे हैं। पूर्वी लद्दाख के तीन इलाकों में भारतीय और चीनी फौज आमने-सामने हैं। सीमा पर उपजे इस नए तनाव के बाद दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के समीप अपनी फौजों की तादाद बढ़ा दी है। इन तीनों जगहों पर सैनिकों के जमावड़े से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास माहौल गरम है। चीन की हरकतों एवं शरारत पर भारत पैनी नजर बनाए हुए हैं। सीमा पर तनाव कम करने के लिए हाल के दिनों में दोनों देशों के शीर्ष कमांडरों के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन तनाव कम करने में फिलहाल कोई सफलता नहीं मिल पाई है। इन जगहों से दोनों देश की फौज अगर ऐसी ही डंटी रही तो यहां भी स्थिति डोकलाम जैसी बन सकती है। 

डोकलाम में 72 दिनों तक चला गतिरोध
साल 2017 में भूटान सीम के पास स्थित डोकलाम में चीन की ओर से बनाए जा रहे सड़क निर्माण को भारत ने रोक दिया था जिसके बाद यहां 72 दिनों तक गतिरोध चला। डोकलाम को लेकर देनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था लेकिन शीर्ष कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए इस टकराव को टाला जा सका। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो गत पांच मई को पैंगोंग त्सो झील के पास भारतीय सेना के साथ झड़प के बाद चीनी की सेना पीएलए के जवानों ने लद्दाख के पूवी इलाके में स्थित गलवान वैली के पास तीन जगहों पर अतिक्रमण किया है। इसके बाद इन जगहों से करीब 500 मीटर की दूरी पर भारतीय जवान भी तैनात हो गए हैं। सीमा पर बढ़ते इस तनाव के बीच सेना प्रमुख एमएम नरावणे ने गत शुक्रवार को लेह में चौदहवीं कोर मुख्यालय का दौरा कर हालात का जायजा लिया।    

चीनी सेना ने तीन जगहों पर अतिक्रमण किए
मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पिछले दिनों में चीनी सैनिकों ने एलएसी के पास तीन जगहों-हॉट स्प्रिंग, पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 और 15 के पास अतिक्रमण किया है। बताया जा रहा है कि एलएसी को पार कर भारतीय हिस्से के इन तीनों जगहों पर करीब 800 से एक हजार चीनी सैनिक जमा हो गए हैं और अपने टेंट लगा दिए हैं। यही नहीं इनके साथ निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वालीं भारी मशीनें और वाहन भी हैं। कुछ समय पहले एलएसी के पास चीन के हेलिकॉप्टर की गतिविधि भी देखी गई। सूत्रों का कहना है कि भारत ने भी इन तीनों जगहों चीनी सैनिकों के बराबर अपने जवानों को तैनात कर दिया है।

भारत ने नई सड़क का लोकार्पण किया है
जाहिर है कि चीन की ये हाल की गतिविधियां उत्तरी सीमा पर तनाव को बढ़ाने वाली हैं। यह खासकर तब हो रहा जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे मार्ग का लोकार्पण किया है। इस सड़क को सीमा सड़क संगठन ने तैयार किया है। इस मार्ग के बन जाने के बाद मानसरोवर यात्रा में लगने वाले समय में कमी आएगी। यह सड़क रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जा रही है। इस रास्ते के जरिए जरूरत पड़ने पर भारत अपने सैनिकों को एलएसी के समीप कम समय में पहुंचा सकता है।

पहले से ज्यादा जागरूक है भारत
हाल के वर्षों में भारत ने लद्दाख क्षेत्र में कई विकास कार्य किए हैं। एलएसी के पास भारत की ये निर्माण गतिविधियां कहीं न कहीं चीन को परेशान कर रही हैं। एलएसी के उस पार चीन ने निर्माण कार्य किए हैं लेकिन वही काम जब भारत अपने हिस्से में करता है तो उसकी भौहें तन जाती हैं और वह उसे रोकने की कोशिश करता है। चीन अपनी हेकड़ी से अपने पड़ोसी देशों को परेशान करता आया है। वह सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ाकर भारत पर एक तरीके का दबाव बनाना चाहता है लेकिन उसकी मंशा सफल नहीं होने वाली। भारत अपने क्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क और जागरूक है।

India China face off

टस से मस नहीं हुआ भारत
भारत और चीन के बीच साल 2017 में डोकलाम में एक बड़ा गतिरोध देखने को मिला था। भारत, भूटान और चीन तीन देशों की सीमा के समीप डोकलाम में बीजिंग सड़क निर्माण कर रहा था जिसे भारतीय सैनिकों ने रोक दिया। इस सड़क के निर्माण को लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डंट गईं। यहां पर गतिरोध 72 दिनों तक चला। भारतीय सेना को डोकलाम से पीछे हटाने के लिए चीन ने कई तरह के तिकड़म लगाए और कई तरह के दांव चले लेकिन भारतीय फौज डोकलाम से टस से मस नहीं हुई। चीन को जब लगा कि भारत अपने रुख से जरा भी विचलित नहीं होगा तब जाकर उसने अपनी फौज पीछे बुलाई। 

टकराव हित में नहीं
डोकलाम में तनाव चरम पर पहुंच गया था लेकिन इसे कम करने एवं गतिरोध को समाप्त करने में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर गंभीर प्रयास हुए जिसका नतीजा भी देखने को मिला। लेकिन इस बार लद्दाख के पूर्वी भाग में चीन ने एक बार फिर आक्रामक रवैया अख्तियार किया है। इस तरह की हरकतों पर भारत डोकलाम में अपना रवैया दिखा चुका है। भारत अपनी संप्रभुता से किसी तरह का समझौता करने वाला नहीं है। चीन गलतफहमी का शिकार है कि भारत अभी भी 1962 वाला है लेकिन उसे अपनी यह सोच बदलनी होगी। क्योंकि भारत अब पहले से कहीं ज्यादा सक्षम और मजबूत नेतृत्व के हाथ में है। अपने हितों की सुरक्षा भारत अब कहीं ज्यादा प्रभावी तरीके से करने की योग्यता रखता है। यह बात अब बीजिंग को समझनी चाहिए। टकराव या संघर्ष को न्योता देने किसी भी देश के हित में नहीं है। 
 

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