श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से पिछले साल अगस्त में आर्टिकल 370 खत्म किया गया था और तभी से राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपने घर में नजरबंद हैं। हाल ही में सरकार ने उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA)लगाया गया है। महबूबा की नजरबंदी के दौरान उनकी पार्टी पीडीपी को बड़े झटके लगे हैं और कई नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। इस बीच पीडीपी को एक और झटका लगा है और राज्य के पुंछ जिले से पार्टी के इकलौते पूर्व विधायक शाह मोहम्मद तांत्रे ने पार्टी को अलविदा कह दिया है।
पार्टी के कई नेता छोड़ चुके हैं पीडीपी
2014 में हुए विधानसभा चुनावों में शाह मोहम्मद पुंछ जिले से विधायक चुने गए थे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो अब पीडीपी के साथ में नहीं है। आगे की रणनीति से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में वह अपने समर्थकों से बात करेंगे और जो भी निर्णय होगा वो सार्वजनिक करेंगे। पार्टी लोगों का नेतृत्व करने में असफल रही है इसलिए वो पीडीपी को छोड़ रहे हैं।
दरअसल पिछले दिनों पार्टी के कई नेताओं ने पीडीपी से किनारा करना शुरू कर दिया है जिनमें पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी इमरान रजा अंसारी सहित आधा दर्जन से अधिक पूर्व मंत्रियों व विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है।
विदेशी राजनयिकों से मिल चुके हैं पीडीपी नेता
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद से महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी को झटके लग रहे हैं। कई नेताओं को पीडीपी में अपना भविष्य नहीं दिख रहा है और वो लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। पिछले दिनों जब विदेशी राजनयिकों का एक दल कश्मीर गया था तो पीडीपी के कई नेताओं ने उनसे मुलाकात की थी जिसके बाद पार्टी ने 8 नेताओं को निकाल दिया। इसके बाद रफियाबाद के पूर्व विधायक यावर मीर और मुंतजिर मोहिउद्दीन ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया था।
मुजफ्फर बेग ने महबूबा को लिया था निशाने पर
पिछले महीने ही महबूबा मुफ्ती के करीबी और पीडीपी के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी एक बड़ा बयान दिया था। बेग पीडीपी के संस्थापक सदस्य रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कश्मीर में जनमत संग्रह किसी भी कीमत पर नहीं कराया जा सकता है। बारामूला के सांसद रह चुके बेग ने महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए कहा था कि उन्हें कभी यह नहीं कहना चाहिए कि अगर 370 को हटा दिया जाता है, तो कोई भी तिरंगा नहीं थामने वाला नहीं होगा और उनके इस बयान की वजह से जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बदल दिया गया।
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