नई दिल्ली : पाकिस्तान के बाद तुर्की के भारत विरोधियों गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनकर उभरने की रिपोर्ट सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि तुर्की के कई संगठन कश्मीर और केरल में ऐसी गतिविधियों को प्रश्रय एवं प्रोत्साहन दे रहे हैं और उसके लिए फंडिंग भी मुहैया करा रहे हैं। इन संगठनों को तुर्की की रेसेप तईप एर्दोआन सरकार का समर्थन हासिल है। तुर्की पहले ही जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधानों को निरस्त किए जाने के भारत सरकार के फैसले पर पाकिस्तान का साथ दे चुका है।
अब भारत विरोधी गतिविधियों को तुर्की द्वारा फंडिंग किए जाने की जो रिपोर्ट सामने आई है, उससे खुफिया एजेंसियों की सतर्कता बढ़ गई है। 'हिन्दुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट में एक सीनियर अधिकारी के हवाले से कहा गया कि है कि केरल और कश्मीर के साथ-साथ तुर्की, भारत के कई हिस्सों में कट्टर इस्लामिक संगठनों को फंडिंग कर रहा है। तुर्की के इस कदम को दक्षिण एशियाई मुसलमानों पर अपने प्रभाव के विस्तार की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन को लेकर पहले ही कहा जा रहा है कि वह देश को एक बार फिर से धार्मिक कट्टरता की ओर ले जा रहे हैं और खुद को मुस्लिम देशों के नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिशों में जुटे हैं। इसी क्रम में वह मुस्लिम जगत में सऊदी अरब की बादशाहत को चुनौती देने की कोशिशों में भी जुटे हुए हैं। हाल ही में इस्तांबुल के हगिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में तब्दील किए जाने के एर्दोआन के फैसले को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, जो वर्ष 1453 तक एक कैथोलिक चर्च था। लेकिन कांस्टेंटिनोपल (अब इस्तांबुल) पर ऑटोमन साम्राज्य के फतह के बाद इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया था। बाद में 1934 में इसे संग्रहालय के तौर पर बदल दिया गया था।
बहरहाल, तुर्की ने पिछले साल मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मिलकर गैर-अरब इस्लामिक देशों का एक गठबंधन तैयार करने की कोशिश भी की थी। इसमें ईरान और कतर को भी शामिल किया गया था। जानकारों का कहना है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियों के कारण पाकिस्तान में हताशा है और वह तुर्की के साथ मिलकर अपने मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तुर्की अब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए उसी तरह भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बन गया है, जैसे 2000 से 2010 के बीच दुबई हुआ करता था। कट्टरपंथी रूझान रखने वाले भारतीय युवाओं को तुर्की का दौरा कराए जाने और केरल सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में इस्लामिक कट्टरपंथ को बढावा देने के लिए 40-40 लाख रुपये तक दिए जा रहे हैं।
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