नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे अर्धेंदु बोस ने भारत की आजादी में महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले शांति आंदोलन की भूमिका को खारिज किया है और देश की आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस और उनकी आजाद हिंद फौज को श्रेय दिया है। इसके अलावा उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर नेताजी बोस को दरकिनार करने और उनकी कहानी को इतिहास की किताबों से दूर रखने का भी आरोप लगाया।
सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर मीडिया से बात करते हुए उनके भतीजे अर्धेंदु बोस ने कहा कि यह गांधी का शांति आंदोलन नहीं था जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। आजाद हिंद फौज और नेताजी की गतिविधियों ने इस देश को आजादी दिलाई और इसे इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लेमेंट रिचर्ड एटली ने भी स्वीकार किया।
उन्होंने आगे कहा कि नेताजी और जवाहरलाल नेहरू के बीच बहुत टकराव था, जाहिर तौर पर एक प्रतिद्वंद्विता थी। इसलिए, नेताजी को इतिहास के दूसरी तरफ रखने का निर्णय लिया गया। उन्होंने अफसोस जताया कि इतिहास की किताबों में सुभाष चंद्र बोस के बारे में ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया है और युवा महान स्वतंत्रता सेनानी और उनकी आजाद हिंद फौज के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।
सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किया है। 23 जनवरी, 1897 को जन्मे नेताजी ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आजाद हिन्द फौज की स्थापना भी की थी।
नेताजी की प्रतिमा के होलोग्राम का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती के अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा के होलोग्राम का अनावरण किया। आज इस पराक्रम दिवस के अवसर पर एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सरकार ने ये भी निर्णय लिया है कि आजादी के अमृत महोत्सव में गणतंत्र दिवस की शुरूआत भी 23 जनवरी से की जाएगी। नेताजी का 125वां जन्मदिन मनाने के हिस्से के रूप में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भव्य प्रतिमा लगाने का निर्णय भी प्रधानमंत्री ने लिया है।
किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है नेताजी का जीवन, मौत आज भी है रहस्य
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