नई दिल्ली : कोरोना संकट के बाद सेना ने पहली बार बड़ा युद्धाभ्यास किया है। यह युद्धाभ्यास 'दक्षिण शक्ति' नाम से राजस्थान के जैसलमेर में हुआ है। इस युद्धाभ्यास में सेना ने अपनी युद्ध कुशलता, अभियानगत तैयारी एवं तीनों सैन्य बलों के बीच तालमेल को परखा है। इस युद्धाभ्यास में सेना के टैंक, वायु सेना के फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्टर और स्वार्म ड्रोन ने अपनी ताकत एवं पराक्रम का प्रदर्शन किया है। यह युद्धाभ्यास 19 से 22 नवंबर के बीच हुए 'सागर शक्ति' अभ्यास के बाद हुआ है।
रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस 'दक्षिण शक्ति' अभ्यास दक्षिणी कमान के तहत हो रहा है। इसका उद्देश्य थियेटर कमान की प्रक्रिया जारी रखने के बीच सशस्त्र बलों के आपसी तालमेल और युद्ध कौशल एवं रणनीति को परखने के लिए किया गया है। गुरुवार को सेना प्रमुख एमएम नरवणे जैसलमेर पहुंचे और इस युद्धाभ्यास को देखा।
जैसलमेर के रेगिस्तान में गत शनिवार से शुरू हुए भारतीय सेना के ‘दक्षिण शक्ति’ युद्धाभ्यास का शुक्रवार को समापन होगा। इस युद्धाभ्यास में थल सेना के साथ वायुसेना भी भाग ले रही है। सैन्य युद्धाभ्यास में टी-72, टी-90 टैंकों ने भी हिस्सा लिया। खासकर रशियन टैंक विजयन्ता ने भी भाग लिया। वहीं, वायुसेना के लड़ाकू विमान ध्रुव,रूधा व जगुआर भी भाग ले रहे हैं।
इस युद्धाभ्यास में खास बात यह है कि इसमें न केवल तीनों सेनाओं को शामिल किया गया है बल्कि बीएसएफ, स्थानीय प्रशासन, पुलिस और इंटेलिजेंस को भी शामिल किया गया है। इस युद्धभ्यास में सुरक्षा से जुड़े सभी अंगों के बीच तालमेल को परखा गया है।
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