नई दिल्ली: भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना लद्दाख, उत्तरी सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सभी क्षेत्रों में उच्च स्तरीय अलर्ट के साथ परिचालन तत्परपा बनाए रखेंगी। चीन के साथ मौजूदा तनाव को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। पीटीआई के मुताबिक जब तक चीन के साथ सीमा गतिरोध को लेकर ''संतोषजनक'' समाधान सामने नहीं आता, तब तक उच्च स्तरीय सतर्कता बरती जाएगी। थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे पहले ही एलएसी के साथ सीमावर्ती इलाकों के संचालन की देखरेख करने वाले सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों को सूचित कर चुके हैं कि वे किसी भी चीनी "दुस्साहस" से निपटने के लिए पर्याप्त सतर्कता बनाए रखें और आक्रामक रुख अपनाएं रखें।
वरिष्ठ कमांडरों से बैठक कर चुके हैं जनरल नरवाणे
पिछले तीन हफ्तों के दौरान थल सेनाध्यक्ष ने भारत और चीन के बीच वास्तविक सीमा की लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी LAC की देखरेख करने वाले सभी वरिष्ठ कमांडरों के साथ लंबी विस्तृत चर्चा की। पैंगोंग त्सो, डेपसांग और गोगरा सहित पूर्वी लद्दाख में कई टकराव वाले केंद्रों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा पीछे हटने में आनाकानी करने को देखते हुए सेना ने बहुत उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखने का ताजा निर्देश जारी किया है।
चीन को दो टूक
भारत ने चीन को पहले ही दो टूक कह दिया है कि पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में गतिरोध को खत्म करने के लिए यथास्थिति बहाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जनरल नरवाणे ने जुलाई के मध्य में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ पूर्वी लद्दाख का दौरा किया था। गुरुवार को उन्होंने तेजपुर स्थित 4 कोर मुख्यालय में पूर्वी कमान के वरिष्ठ कमांडरों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया।
उप वायुसेना प्रमुख ने किया अग्रिम चौकियों का दौरा
भारतीय वायु सेना (एयरफोर्स) पूर्वी लद्दाख और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में हाई अलर्ट के साथ सतर्कता बनाए रखने की तैयारी कर रही है। गुरुवार को ही वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल हरजीत सिंह अरोड़ा ने पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) के लद्दाख सेक्टर स्थित अग्रिम हवाई ठिकानों का दौरा किया। इन ठिकानों पर परिचालन संबंधी तैयारियों की समीक्षा करने के अलावा, वायु सेना उप प्रमुख ने इन इलाकों में तैनात उन हवाई योद्धाओं से बातचीत की जो यहां वर्तमान में यहां लड़ाकू इकाइयों का संचालन कर रहे हैं।
अग्रिम लड़ाकू विमान तैनात
गलवान घाटी में संघर्ष के बाद, भारतीय वायुसेना ने अपने सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट जैसे सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 विमान पूर्वी लद्दाख के प्रमुख सीमावर्ती हवाई अड्डों और एलएसी से सटे इलाकों में तैनात कर दिए हैं। भारतीय वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय हवाई गतिविधियों का संचालन कर चीन को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि वह पहाड़ी इलाकों में किसी भी घटना से निपटने के लिए तैयार है। वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में विभिन्न अग्रिम चौकियों पर सैनिकों को पहुंचाने के लिए अपाचे हमले के हेलिकॉप्टरों के साथ-साथ चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों को भी तैनात किया है।
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