नई दिल्ली : बालाकोट जैसे मिशन के लिए भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता में और इजाफा करने जा रही है। सेना ने 100 से ज्यादा 'स्कॉयस्ट्राइकर' ड्रोन के लिए एक करार किया है। विस्फोटकों से लदे एवं बेहद घातक इन ड्रोन का निर्माण बेंगलुरू की एक कंपनी इजरायल के एल्बीट सेक्युरिटी सिस्टम के साथ मिलकर करेगी। 'स्कॉयस्ट्राइकर' ड्रोन की रेंज करीब 100 किलोमीटर होगी। यह अपने साथ पांच अथवा 10 किलोग्राम के विस्फोटक के साथ दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है।
'ल्वॉटरिंग म्यूनिशन' की तलाश कर रही थी सेना
सेना अपने लिए 'ल्वॉटरिंग म्यूनिशन' की तलाश कर रही थी। 'ल्वॉटरिंग म्यूनिशन' मानवरहित एरियल हथियार होता है। इसका इस्तेमाल नजर से दूर ठिकानों पर हमले के लिए किया जाता है। ड्रोन की तरह का यह हथियार अपने वारहेड में विस्फोटक ले जाता है। इसे 'सूसाइड ड्रोन' अथवा 'कैमिकेज ड्रोन' के नाम से भी जाना जाता है। करार हो जाने के बाद अब 'स्कॉयस्ट्राइकर' ड्रोन का निर्माण बेंगलुरु स्थित कंपनी अल्फा डिजायन इजरायल की फर्म एल्बीट सेक्युरिटी सिस्टम के साथ मिलकर करेगी। सेना के साथ कंपनी का यह करार बुधवार को करीब 100 करोड़ रुपए में हुआ।
सटीकता के साथ मार करने में सक्षम हैं ये ड्रोन
एल्बीट सिस्टम के मुताबिक इस हथियार की लागत कम है और यह लंबी दूरी पर सटीकता के साथ हमला करने में सक्षम है। कंपनी का कहना है कि यह ड्रोन सेना की स्पेशल फोर्सेज के लिए काफी अहम होगा। यह उनकी मारक क्षमता को बढ़ाएगा। वे और सटीकता के साथ दुश्मन पर हमला कर पाएंगे। यह 'सूसाइड ड्रोन' विस्फोटकों के साथ दुश्मन के ठिकानों पर जाकर फट जाता है। यह ड्रोन खुद अपने लक्ष्यों को ढूंढकर उन पर हमला करता है। यह हथियार कम ऊंचाई पर सेना को मिशन पूरा करने में भी मदद करेगा। इसकी एक खासियत यह भी है कि यह चुपके से ठिकानों पर धावा बोलकर दुश्मन को हैरान कर सकता है।
लॉन्च होने के बाद इसके लक्ष्य को बदला जा सकता है
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक अल्फा डिजायन के सीएमडी (कर्नल, रिटायर्ड) एचएस शंकर का कहना है कि ड्रोन को लॉन्च करने से पहले उसमें जीपीसी लगाया जाएगा। लॉन्चिंग के समय यह ड्रोन आसमान में चक्कर लगाते हुए लक्ष्य का चुनेगा। इसके बाद वह लक्ष्य की जानकारी वापस जमीन पर ग्राउंट कंट्रोल को देगा। एक बार कंट्रोल रूम से हरी झंडी मिल जाने के बाद यह ड्रोन लक्ष्य पर हमला करेगा। ड्रोन की लॉन्चिंग के बाद भी इसके लक्ष्य को बदला जा सकता है। यहां तक कि मिशन यदि स्थगित भी होता है तो इसे वापस बुलाया जा सकता है।
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