नई दिल्ली: भारतीय सेना की एयरबोर्न रैपिड रिस्पांस टीमों के लगभग 600 पैराट्रूपर्स ने 24 और 25 मार्च को एक हवाई अभ्यास में सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास बड़े पैमाने पर ड्रॉप्स को अंजाम दिया। यह चीन की सीमा के नजदीक है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में पिछले तीन हफ्तों में यह इस तरह का दूसरा अभ्यास था। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को भारत का 'चिकन नेक' भी कहा जाता है जो न सिर्फ व्यापारिक और भौगोलिक बल्कि रणनीतिक रूप से भी भारत का एक अहम क्षेत्र है।
लगभग 600 सैनिकों के साथ संपन्न हुए इस अभ्यास का आयोजन 24 मार्च से 25 मार्च तक किया गया था। इसमें उन्नत हवाई प्रविष्टि तकनीक या सैनिकों को एयरड्रॉप करना, निगरानी और टारगेट प्रैक्टिस शामिल था। सिलीगुड़ी कॉरिडोर नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की सीमा से लगे भूमि का एक हिस्सा है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ता है और सैन्य दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
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एक अधिकारी ने बताया, 'भारतीय सेना के एयरबोर्न रैपिड रिस्पांस टीमों के लगभग 600 पैराट्रूपर्स ने विभिन्न एयरबेस से एयरलिफ्ट किए जाने के बाद सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास बड़े पैमाने पर एयरड्रॉप्स को अंजाम दिया। अभ्यास में उन्नत फ्री-फॉल तकनीक, प्रविष्टि, निगरानी और टारगेट प्रैक्टिस और दुश्मन की लाइन सेपार जाकर प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करना शामिल था।'
सिलीगुड़ी कॉरिडोर के इर्द-गिर्द नेपाल और बांग्लादेश हैं। भूटान का साम्राज्य गलियारे के उत्तरी तरफ स्थित है। बंगाल विभाजन के बाद 1947 में सिलीगुड़ी कॉरिडोर बनाया गया। यह रणनीतिक रूप से अहम है इसलिए यहाँ पर भारतीय सेना, असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल और पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा गश्त लगाई जाती है।
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