नई दिल्ली: देश के पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेताओं में से एक रहे अरुण जेटली की आज जयंती है। पिछले साल 24 अगस्त को उनका निधन हो गया था। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने वित्त और रक्षा के साथ कई अन्य मंत्रालय भी संभाले। जेटली वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे थे। जेटली ने संगठन सहित सरकार में बड़े-बड़े महत्वपूर्ण पद संभाले, लेकिन वह कभी लोकसभा के लिए नहीं चुने गए। उन्होंने हमेशा राज्यसभा का प्रतिनिधित्व किया।
2009 से 2014 तक उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता थे। सत्तर के दशक में जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र नेता थे और 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बने। आपातकाल के दौरान वह 19 महीने की अवधि के लिए जेल में रहे।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील रहे
1987 से, जेटली भारत के सर्वोच्च न्यायालय और भारत के कई उच्च न्यायालयों में कानून का अभ्यास कर रहे थे। जनवरी 1990 में, उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता थे। उन्हें 1989 में वीपी सिंह सरकार द्वारा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था।
लोकसभा चुनाव नहीं जीता
जेटली 1991 से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। 1999 के आम चुनाव से पहले की अवधि में वह भाजपा के प्रवक्ता बने। उन्होंने कभी भी लोकसभा का चुनाव नहीं जीता और हमेशा राज्यसभा के रास्ते केंद्र में मंत्री रहे। जेटली पहली बार साल 2000 में गुजरात से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद वह 2006 और फिर 2012 में भी गुजरात से राज्यसभा के लिए चुनकर आए। हालांकि, पार्टी ने 2014 में उन्हें पंजाब की अमृतसर सीट से कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ टिकट दिया था। लेकिन वह चुनाव जीतने में सफल नहीं हुए।
2019 में सरकार में शामिल नहीं हुए
वाजपेयी सरकार में अक्टूबर 1999 उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। इसके बाद 2000 में उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। नवंबर 2000 में जेटली पूर्ण कैबिनेट मंत्री बने और कानून, न्याय और कंपनी मामलों और जहाजरानी मंत्री का पदभार संभाला। 2014 में मोदी सरकार में उन्होंने वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और कॉरपोरेट मामले के मंत्री के रूप में काम किया। 2019 में जब मोदी सरकार सत्ता में वापस आई तो उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से सरकार में शामिल होने से मना कर दिया।
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