Narendra Modi Vs Arvind Kejriwal: भले ही नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केसीआर 2024 में विपक्ष का चेहरा बनने के लिए, अपने आपको प्रोजेक्ट कर रहे हैं, लेकिन इस रेस में अरविंद केजरीवाल कहीं अलग दिखाई दे रहे हैं। चाहे रेवड़ी कल्चर की बात हो या फिर भारत के विकसित देश बनने का लक्ष्य, हर जगह पर वह विपक्ष के दूसरे नेताओं की तुलना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे चुनौती दे रहे हैं। उनके यह तेवर एक बार फिर 2014 की याद दिला रहे हैं, जब वह लोकसभा चुनाव के दौरान सीधे तौर नरेंद्र मोदी के मुकाबले अपने को पेश करते थे और खुद उनके खिलाफ बनारस से मैदान में उतर गए थे।
मोदी के 5 प्रण के मुकाबले लाए 5 काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अगले 25 साल का रोडमैप पेश करते हुए, 130 करोड़ लोगों को 5 प्रण लेने की बात कहीं। इसमें विकसित भारत, गुलामी से मुक्ति, विरासत पर गर्व, नागरिकों के कर्त्तव्य, एकता और एकजुटता की बात कही है। जाहिर है मोदी राष्ट्रवाद और आर्थिक विकास का रोडमैप पेश कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दो दिन बाद बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से मेक इंडिया नंबर-1 अभियान का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा, अभियान से जोड़ने के लिए मैं देश भर में यात्रा करूंगा। यह 130 करोड़ लोगों का गठबंधन होगा। इसके लिए उन्होंने 5 काम की बात कही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, महिला अधिकार और टिकाऊ खेती के जरिए जुड़ने की बात कही है। इसके तहत हर बच्चे को मुफ्त में अच्छी शिक्षा मिले, हर नागरिक को मुफ्त में इलाज मिले और हर युवा को रोजगार मिले। वही हर महिला को सम्मान व सुरक्षा मिले, साथ ही हर किसान को खेती का पूरा दाम मिले। जाहिर है इन 5 काम के जरिए अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेवड़ी कल्चर बयान पर भी सवाल उठाए हैं।
रेवड़ी कल्चर पर आमने-सामने
रेवड़ी कल्चर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अभी सुनवाई जारी है और उसको लेकर सभी पक्षों का तर्क शीर्ष न्यायालय सुन रहा है। लेकिन इस सुनवाई के दौर में भाजपा और आम आदमी पार्टी आमने-सामने है। इस नैरेटिव की लड़ाई में दोनों दलों का शासन मॉडल है। जिसकी कमान आम आदमी पार्टी की तरफ से खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संभाली है। जबकि भाजपा के तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से लेकर दूसरे नेताओं ने संभाल रखी है। जिस तरह हर रोज दोनों दल रेवड़ी कल्चर पर एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं, उससे लगता है कि एक बार फिर 2014 के लोक सभा चुनाव की तरह मोदी बनाम केजरीवाल की जमीन तैयार हो रही है।
2014 से अलग है जमीन
चाहे भाजपा की बात हो या फिर आम आदमी पार्टी की हो, 2024 के जब लोक सभा चुनाव होंगे, तो दोनों पार्टियों के लिए हालात 10 साल पहले जैसे नहीं होंगे। 2014 के चुनावी दौर में जहां नरेंद्र मोदी गुजरात की राजनीति से निकलकर केंद्र की राजनीति में अपनी चुनौती पेश कर रहे थे। वहीं अरविंद केजरीवाल भी नए नेता के रूप में उभरे थे और उन्होंने कुछ ही समय पहले दिल्ली की सत्ता हासिल की थी। लेकिन इस समय वह तीन बार से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और अब आम आदमी पार्टी की पंजाब में भी सरकार है। और इस साल होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश करने की तैयारी में हैं।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं, और भाजपा की इस समय 17 राज्यों में सरकार हैं। इसमें से 12 राज्यों में उसके मुख्यमंत्री है और वह इस समय वह अपने राजनीतिक इतिहास के शिखर पर है। ऐसे में 2024 की लड़ाई अगर मोदी बनाम केजरीवाल होती है, तो वह बेहद अलग अंदाज में होंगे। खास तौर से यह देखते हुए इन 2 साल में 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं।
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