नई दिल्ली: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को एनआरसी की दिशा में पहला कदम करार दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत के गरीबों को इसके लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें संदिग्ध नागरिक के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। उन्होंने ट्वीट किया, 'एनपीआर एनआरसी की ओर पहला कदम है। भारत के गरीबों को इसके लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप उन्हें 'संदिग्ध नागरिक' के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। यदि एनपीआर अनुसूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है, तो इसका विरोध करने के कार्यक्रम को भी अंतिम रूप दिया जाएगा।'
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने कहा है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की अनुसूची या प्रश्नावली को अंतिम रूप दिया जा रहा है और जनगणना 2021 के पहले चरण की अपेक्षित तारीख के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
इस साल की शुरुआत में ओवैसी ने इसे मुसलमानों का 'अपमान' कहा था और पूछा था कि केंद्र सरकार भारतीय होने का सबूत क्यों मांग रही है? पिछले साल केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि दोनों के बीच (NPR और NRC) कोई संबंध नहीं है, एआईएमआईएम प्रमुख ने एनपीआर और एनआरसी को एक सिक्के के दो पहलू कहा था।
कांग्रेस ने भी उठाए थे सवाल
पिछले साल नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर खूब बवाल मचा। बाद में कोरोना के कारण विरोध-प्रदर्शन बंद हुए। कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, 'एनपीआर स्पष्ट रूप से एनआरसी से जुड़ा हुआ है। गृह मंत्री ने यह क्यों नहीं कहा कि हम एनपीआर कर रहे हैं, एनआरसी नहीं करेंगे। उन्हें स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि एनआरसी को खारिज कर दिया गया है। हमने केवल NPR किया था, इसने जनगणना में मदद की। हम जनगणना के साथ ही रुक गए। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संशोधन अधिनियम एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।'
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