नई दिल्ली। महाराष्ट्र का यवतमाल जिला इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। दरअसल मामला पोलियो ड्राप के देने से जुड़ा हुआ है। 12 बच्चों को पोलियो ड्राप की जगह सैनिटाइजर पिलाया गया और सूबे की सियासत गरमा गई। आनन फानन में आशा वर्करों को निलंबित कर दिया गया। लेकिन एक आशा वर्कर का कहना है कि उसकी गलती नहीं थी। गलती डॉक्टर की थी। उसने तो डॉक्टर साहब से कहा था कि जिसे वो पोलियो ड्राप बता रहे हैं दरअसल वो सैनिटाइजर है।
डॉक्टर ने सैनिटाइजर को बताया पोलियो ड्राप
निलंबित आशा कार्यकर्ता संगीता का कहना है कि मैं पिछले 10 सालों से काम कर रहा हूं। डॉक्टर ने हमें बताया था कि जो प्रशासित किया जा रहा है वह वास्तव में पोलियो ड्रॉप्स है, मैंने बार-बार उसे बताया कि यह नहीं है। फिर भी, उसने मुझे खारिज कर दिया। मेरा क्या कसूर था? मैंने उन्हें वह दिया जो डॉक्टर ने मुझे बताया था।
पीड़ित बच्चों में से एक के पिता पुरुषोत्तम का कहना है कि मेरी पत्नी हमारे बच्चे को पोलियो ड्रॉप्स के लिए ले गई। वापस आने के बाद, एक आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने उन्हें फिर से बूंदों के लिए बुलाया। जब मैंने पूछा, तो दोनों ने कहा कि बच्चे को पहली बार सैनिटाइजर दिया गया था, इसलिए वे उन्हें अभी दे रहे हैं।
12 बच्चों को दिया गया था सैनिटाइजर
बता दें कि 31 जनवरी को यवतमाल में 12 बच्चों को पोलियो वैक्सीन के बजाय सैनिटाइज़र की बूँदें दी गईं। उन्हें अब यवतमाल के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक कहते हैं, बच्चों की हालत अब ठीक है और उन्हें बुधवार अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
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