मध्य प्रदेश सरकार गँवाने के बाद अब कांग्रेस राजस्थान में अपनी सरकार गंवाने की ओर अग्रसर है। सवाल ये नहीं है कि राजस्थान में कांग्रेस के पास नंबर नहीं है बल्कि नंबर तो पर्याप्त है लेकिन कांग्रेस के अपनों ने ही ठान लिया है कि येन केन प्रकारेण अपनी ही सरकार को गिरा देना है। वाजिब सवाल उठता है आखिर वो अपने कौन हैं जो सरकार गिराना चाहते हैं और वो सरकार क्यों गिराना चाहते चाहते हैं।
इसका उत्तर है 2018 के राजस्थान विधान सभा का चुनाव कांग्रेस ने युवा नेता सचिन पायलट के नेतृत्व में जीता था और इस जीत को हासिल करने के लिए सचिन पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में 2014 से लेकर 2018 तक काफी मेहनत और मशक्कत भी की थी लेकिन जब मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तब कांग्रेस आलाकमान यानि गाँधी परिवार ने अपने पुराने खासमखास सिपहसलार अशोक गहलोत को चुना ना कि युवा नेता सचिन पायलट को यही काम गाँधी परिवार ने मध्य प्रदेश में भी किया जहाँ ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमल नाथ को मुख्य मंत्री बनाया गया।
इसी आलाकमान संस्कृति की वजह से कांग्रेस अपनी बनी बनाई सरकार गवां चुकी है। वही मध्य प्रदेश स्क्रिप्ट अब राजस्थान में भी दुहराया जाने वाला है, हुआ यूँ कि राजस्थान में कांग्रेस के अशोक गहलोत के नेतृत्व में दिसम्बर 2018 में सरकार तो बन गयी लेकिन गहलोत सरकार को गिराने की प्रक्रिया भी दिसम्बर 2018 में ही शुरू हो गयी थी।
राजस्थान विधान सभा में पार्टी पोजिशन इस प्रकार है। अर्थात 200 सीटों वाले राजस्थान विधान सभा में पूर्ण बहुमत के लिए 101 सीट चाहिए।
राजस्थान विधान सभा पार्टी सीट काँग्रेस 107 भाजपा 72 आरएलपी 3 बीटीपी 2 सीपीआई(एम) 2 आरएलडी 1 स्वतंत्र 13 कुल 200
अब आंकड़ों का खेल बताएगा कि राजस्थान में अशोक गहलोत की काँग्रेस बचेगी या नहीं। सामान्य स्थिति में राजस्थान विधान सभा में काँग्रेस को पूर्ण बहुमत है जिसे हम निम्नलिखित आंकड़ों में देख सकते हैं ।
काँग्रेस को पूर्ण बहुमत
राजस्थान विधान सभा पार्टी सीट काँग्रेस 107 बीटीपी 2 सीपीआई(एम) 2
आरएलडी 1 स्वतंत्र 13 कुल 125
इसका मतलब काँग्रेस को 101 की जगह 125 सीट है। इसका मतलब विधान सभा में काँग्रेस को कोई खतरा नहीं है।
भाजपा सत्ता से कोसों दूर
राजस्थान विधान सभा पार्टी सीट भाजपा 72 आरएलपी 3 कुल 75
दूसरी तरफ भाजपा सत्ता से कोसों दूर। सत्ता की संभावना सिफर। इसीलिए सरकार बनी काँग्रेस की।
सचिन पायलट के 19 विधायक के बाद की स्थिति
जैसा कि बताया गया सचिन पायलट के पास 19 विधायक हैं । इसका मतलब क्या है? यदि ये 19 विधायक विधान सभा से इस्तीफा दे देते हैं और विधान सभा अध्यक्ष आसानी से उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लेते हैं तो ऐसी स्थिति में विधान सभा की कुल संख्या घट कर 200 से 181 हो जाएगी और मेजोरिटी मार्क बनेगा 91। अब स्थिति इस प्रकार बनेगी।
राजस्थान विधान सभा पार्टी सीट काँग्रेस 88 बीटीपी 2 सीपीआई(एम) 2 आरएलडी 1 स्वतंत्र 13 कुल 106
इसका मतलब साफ है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में काँग्रेस की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ बनी रहेगी। अर्थात काँग्रेस को चाहिए 91 की संख्या और उसके पास है 106। दूसरी तरफ भाजपा के अभी भी सिर्फ 75 की संख्या है।
सचिन पायलट के 30 विधायक के बाद की स्थिति
ऐसी स्थिति में यदि सचिन पायलट के 30 विधायक विधान सभा से इस्तीफा दे देते हैं तो विधान सभा की कुल संख्या 200 से घटकर 170 हो जाएगी और मेजोरिटी मार्क हो जाएगा 86 तब की स्थिति देखिये।
राजस्थान विधान सभा पार्टी सीट काँग्रेस 77 बीटीपी 2 सीपीआई(एम) 2
आरएलडी 1 स्वतंत्र 13 कुल 95
इस स्थिति में भी अशोक गहलोत के नेतृत्व में काँग्रेस की सरकार बनी रहेगी क्योंकि अभी भी भाजपा के पास सिर्फ 75 सीट है।
काँग्रेस के लिए वर्स्ट केस सेनरिओ
काँग्रेस के 107 में से 30 विधायक विधान सभा से इस्तीफा दे दें तो फिर उसके बाद काँग्रेस के पास बचेंगे सिर्फ 77 और साथ ही बीटीपी के 2 एवं स्वतंत्र के 13 भी साथ छोड़ दें तो सिर्फ ऐसी स्थिति में ही काँग्रेस सत्ता से बाहर हो जाएगी। फिर भाजपा के लिए सुनहरा मौका आ सकता है।
राजस्थान विधान सभा पार्टी सीट काँग्रेस 77 सीपीआई(एम) 2 आरएलडी 1 कुल 80
भाजपा की बल्ले बल्ले
भाजपा की बल्ले बल्ले तभी हो सकता है जबकि बीटीपी के 2 और स्वतंत्र के 13 सब के सब भाजपा के साथ आ जाएँ। वैसी स्थिति में भाजपा विधान सभा के मेजोरिटी मार्क को पार कर जाएगी यानि विधान सभा के 170 वाली स्थिति में मेजोरिटी मार्क होगा 86 और भाजपा के पास होगा 90 सीट और काँग्रेस के पास रह जाएगा सिर्फ 80। इसका मतलब राजस्थान में मध्य प्रदेश की तरह ही भाजपा का शासन स्थापित हो जाएगा।
राजस्थान विधान सभा पार्टी सीट भाजपा 72 आरएलपी 3 बीटीपी 2 स्वतंत्र 13 कुल 90
क्या इतना उलट फेर संभव है?
इसका मतलब ये हुआ कि भाजपा की सरकार सिर्फ वर्स्ट केस सेनरिओ में ही बन सकती है? इसलिए सबसे बड़ा सवाल है कि क्या राजस्थान में इतना बड़ा उलट फेर संभव है? सामान्य स्थिति में उत्तर है नहीं लेकिन जैसाकि कहा जाता है कि राजनीति और क्रिकेट में असंभव शब्द का प्रयोग करना खतरे से खाली नहीं होता है। अर्थात राजनीति और क्रिकेट में कुछ भी हो सकता है।
सबसे बड़ा सवाल है कि सचिन पायलट का क्या होगा? क्या सचिन पायलट भाजपा में शामिल होंगे? क्या सचिन पायलट अलग पार्टी बनाएँगे? क्योंकि सचिन पायलट काँग्रेस में रहते हुए भी काँग्रेस से इतना दूर निकाल चुके हैं कि अब काँग्रेस में फिर से पुरानी स्थिति में लौटना असंभव दिखाई दे रहा है। इसीलिए इस राजनीतिक उठापटक में यदि किसी का भविष्य दांव पर लगा है तो वो है सचिन पायलट का। इसीलिए सचिन पायलट के लिए यह आखिरी दांव साबित होगा,आखिरी सवाल राजस्थान में होगा क्या? इसका असली उत्तर तो भविष्य के गर्भ में छिपा है जिसके लिए हम सबको करना होगा इंतज़ार।
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