नई दिल्ली: असम में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। यहां 3 चरणों में वोटिंग होनी है। नतीजे 2 मई को आएंगे। 27 मार्च को पहले फेज, 1 अप्रैल को दूसरे फेज और 6 अप्रैल को तीसरा फेज की वोटिंग होनी है। अब सवाल है क्या 2016 में पहली बार राज्य में सत्ता में आई बीजेपी फिर से वापसी करेगी या लंबे समय तक राज्य की सत्ता में रह चुकी कांग्रेस सरकार बनाएगी।
असम में कांग्रेस ने लंबे समय तक राज किया है। 2016 में बीजेपी पहली बार राज्य की सत्ता में आई। उससे पहले 15 साल तक कांग्रेस की सत्ता रही और तरुण गोगोई मुख्यमंत्री रहे। इस बार कांग्रेस को उनके बिना चुनावी मैदान में उतरना पड़ रहा है। पिछले साल 23 नवंबर को 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वो 2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। वह राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे।
वह 6 बार संसद सदस्य भी रहे और खाद्य मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री भी रहे। उन्हें मरणोपरांत 2021 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।
कांग्रेस ने किसी को नहीं बनाया चेहरा
उनका न होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका कहा जा सकता है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित नहीं किया है। यहां कांग्रेस नीत विपक्षी महागठबंधन ने कहा कि मुख्यमंत्री पद का उसका उम्मीदवार विधानसभा चुनाव के बाद अन्य घटक दलों के साथ चर्चा के बाद तय किया जाएगा। असम के पार्टी प्रभारी कांग्रेस महासचिव अनिरूद्ध सिंह ने कहा कि इस गठबंधन की मुख्य चिंता भाजपा एवं उसके सहयोगियों को हराना है। हग्रमा मोहिलारी की अगुवाई वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के विपक्षी गठबंधन में आ जाने के बाद महागठबंधन आगामी चुनाव में विधानसभा की कुल 126 में 100 सीटें जीतने के लक्ष्य तक जरूर पहुंच जाएगा।
15 सालों तक सत्तासीन रही कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का मुकाबला करने के लिए एआईयूडीएफ, भाकपा, माकपा, भाकपा माले, आचंलिक गण मोर्चा के साथ मिलकर एक महागठबंधन बनाया। अब बीपीएफ भी उसके साथ हो चला है।
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