देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को जन्मे वाजपेयी ने 16 अगस्त, 2018 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली थी। वाजपेयी लोकसभा के लिए 10 बार और राज्यसभा के लिए दो बार निर्वाचित हुए थे। वह पहली बार 1996 में 13 दिनों के लिए, दूसरी बार 1998 में 13 महीनों के लिए और फिर 1999-2004 तक पांच साल के लिए प्रधानमंत्री रहे।
अटल का विरोधी भी करते थे सम्मान
अटल को 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इससे पहले उन्हें 1992 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। वाजपेयी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा था कि न केवल उन्हें धुर विरोधी भी सम्मान देते थे, बल्कि वह खुद भी विरोधियों तक को उचित सम्मान देते थे। राजनीति में वाजपेयी का पदार्पण 1950 के दशक में हुआ। वह 1957 में पहली बार यूपी के बलरामपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर 2005 तक वह सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे। करीब 50 सालों के अपने राजनीतिक जीवन में वाजपेयी का कोई कटु आलोचक नहीं रहा।
उपलब्धियों से भरा है करियर
एक सांसद के रूप में और विशेष रूप से प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी ने अनगिनत महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिन्होंने कड़े सुधारों और बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास के माध्यम से एक मजबूत अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने देश को राजमार्गो से जोड़ने वाली विश्व स्तरीय स्वर्णिम चतुर्भुज की सौगात दी। वाजपेयी की अगुवाई में भारत ने आर्थिक विकास, सूचना प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की। उनके कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में 1998 के परमाणु परीक्षण को भला कैसे भूला जा सकता है, जिसने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना दिया। हालांकि पश्चिमी देशों ने इसकी कड़ी ओलचना की, लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी, जब भारत ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया।
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