और मजबूत हुई रिश्ते की डोर, UNSC-NSG में भारत की दावेदारी का ऑस्ट्रेलिया का मिला समर्थन

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एजेंसी
Updated Jun 04, 2020 | 19:17 IST

Australia extends support to India for permanent UNSC seat: ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच गुरुवार को महत्वपूर्ण रक्षा करार हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है।

Australia extends support to India for permanent UNSC seat, NSG membership
यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा ऑस्ट्रेलिया। तस्वीर सौजन्य-MEA 
मुख्य बातें
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा सहित सात महत्वपूर्ण करार हुए
  • दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प व्यक्त किया
  • यूएनएससी-एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत का समर्थन करेगा ऑस्ट्रेलिया

नई दिल्ली : भारत और ऑस्ट्रेलिया ने बृहस्पतिवार को अपने संबंधों को समग्र सामरिक गठजोड़ के स्तर पर उन्नत बनाने के लिए साजो-सामान (लॉजिस्टिक) सहयोग के उद्देश्य से एक दूसरे के सैन्य अड्डों तक आपसी पहुंच सुगम बनाने के महत्वपूर्ण करार सहित सात समझौते किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद ये समझौते हुए। दोनों देशों के बीच हुए साझा लॉजिस्टिक सहयोग समझौते (एमएलएसए) के तहत सम्पूर्ण रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने के अलावा दोनों देशों की थलसेना को मरम्मत और आपूर्ति बहाली के लिए एक दूसरे के सैन्य अड्डों का उपयोग करने की बात कही गई है। भारत ने ऐसा ही समझौता अमेरिका, फ्रांस और सिंगापुर के साथ किया है। ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु ऑपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन किया है। 

‘टू प्लस टू’वार्ता होगी
समग्र सामरिक गठजोड़ की तर्ज पर दोनों पक्षों ने विदेश और रक्षा सचिव से लेकर मंत्री स्तर पर ‘टू प्लस टू’वार्ता को समोन्नत किया। दोनों देशों ने साइबर एवं साइबर युक्त प्रौद्योगिकी तथा खनिज एवं खनन, सैन्य प्रौद्योगिकी, व्यावसायिक शिक्षा तथा जल संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर समझौता किया। दोनों पक्षों ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे, हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नौवहन सुरक्षा चुनौतियों, विश्व व्यापार संगठन में सुधार तथा कोरोना वायरस संकट से निपटने के रास्तों सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

कराधान के मुद्दे पर हुई चर्चा
हिन्द प्रशांत क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए दोनों देशों ने ‘हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नौवहन सहयोग की साझी दृष्टि’शीर्षक से घोषणा भी जारी किया जिसमें इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, स्थितरता और समृद्धि को लेकर प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। मोदी-मॉरिसन के बीच बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने भारत दोहरा कराधान समझौते के उपयोग के जरिये भारतीय कंपिनयों की आय पर कराधान के मुद्दे पर चर्चा की और इस मुद्दे का जल्द हल निकालने की बात कही।

सीईसीए पर फिर से होगी बातचीत
इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय समग्र आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) पर फिर से बातचीत करने का निर्णय किया जहां आपसी सहमति से रास्ता तलाशा जाए। दोनों देशों ने आतंकवाद को क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिये खतरा माना और इस बुराई के हर स्वरूप की कड़ी निंदा करते हुए जोर दिया कि किसी भी आधार पर आतंकी गतिविधि को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

सीसीआईटी को जल्द लागू करेंगे दोनों देश
संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष हिंसक कट्टरपंथ और चरमपंथ को रोकने, आतंकवादियों के वित्तीय समर्थन को रोकने तथा आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने सहित आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये समग्र रुख का समर्थन करते हैं। दोनों पक्षों ने समग्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संधि (सीसीआईटी) को जल्द अंगीकार करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को अस्ट्रेलिया के अपने समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के साथ ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए कहा कि भारत में लगभग सभी क्षेत्रों को शामिल करते हुए समग्र सुधार की एक प्रक्रिया शुरू की गई है क्योंकि वह कोरोना वायरस संकट को एक ‘अवसर’ के रूप में देख रहे हैं।

पीएम ने मॉरिसन के साथ बैठक को अभूतपूर्व बतााय
अपने शुरूआती संबोधन में मोदी ने महामारी के आर्थिक और सामाजिक दुष्प्रभावों से दुनिया को जल्दी बाहर निकालने के लिये समन्वित एवं एकजुट पहल की वकालत करते हुए कहा कि इस महामारी के कारण विश्व में 65 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और दुनिया में 3.88 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। आनलाइन शिखर बैठक का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया गठजोड़ का एक नया मॉडल और कारोबार करने का भी नया मॉडल बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने मॉरिसन के साथ अपनी बैठक को ‘अभूतपूर्व’ बताया जिसमें दो सामरिक सहयोगियों के बीच संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा की गई।

संबंधों को और मजबूत बनाने का संकल्प
दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य सेवा, कारोबार और रक्षा क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों को और मजबूत बनाने पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से कहा, ‘इस कठिन समय में आपने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय का, और ख़ास तौर पर भारतीय छात्रों का, जिस तरह ध्यान रखा है, उसके लिए मैं विशेष रूप से आभारी हूँ।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने इस संकट को एक अवसर की तरह देखने का निर्णय लिया है। भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में व्यापक सुधार की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। बहुत जल्द ही जमीनी स्तर पर इसके परिणाम देखने को मिलेंगे।’ मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को और सशक्त करने के लिए यह उपयुक्त समय, उपयुक्त मौक़ा है तथा अपनी दोस्ती को और मज़बूत बनाने के लिए हमारे पास असीम संभावनाएँ हैं ।

पूरे विश्व के लिए काम करने की जताई इच्छा
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कैसे हमारे संबंध अपने क्षेत्र के लिए और विश्व के लिए एक ‘स्थिरता का कारक’ बनें, कैसे हम मिल कर वैश्विक बेहतरी के लिए कार्य करें, इन सभी पहलुओं पर विचार की आवश्यकता है।’वहीं, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मॉरिसन ने जी-20 सहित अन्य मंचों पर रचनात्मक एवं काफी सकारात्मक भूमिका के लिये मोदी की सराहना की। दूसरी ओर, मोदी ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने सम्बन्धों को व्यापक तौर पर और तेज़ गति से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘यह न सिर्फ़ हमारे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र और विश्व के लिए भी आवश्यक है।’

दुनिया को महामारी के दौर से निकालने की दिखी चिंता
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक महामारी के इस काल में हमारे समग्र सामरिक गठजोड़ की भूमिका और महत्वपूर्ण रहेगी। विश्व को इस महामारी के आर्थिक और सामाजिक दुष्प्रभावों से जल्दी निकलने के लिए एक समन्वित और एकजुट पहल की आवश्यकता है।’ बहरहाल, संयुक्त बयान में दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक सहयोग को और गहरा बनाने तथा समग्र सामरिक गठजोड़ की दिशा का उल्लेख किया गया है। भारत और आस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय यात्राओं और अंतरराष्ट्रीय समारोहों से इतर वार्षिक बैठकों के जरिये प्रधानमंत्री स्तर का सम्पर्क बढ़ाने की भी इच्छा व्यक्त की।

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