नई दिल्ली : 'एक्विटेड' का मतलब होता है 'बरी होना'। ये शब्द सामान्य तौर पर कोर्ट, कानून, केस और अपराधी के सिलसिले में इस्तेमाल किया जाता है। कानून की भाषा में इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि किसी न्यायालय में के द्वारा बरी किया जाना ये प्रमाणित करता है कि अभियुक्त एक अपराध के आरोप से मुक्त है।
ये शब्द अभी इसलिए चर्चा में आ गया है क्योंकि आज ही सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामले पर फैसला सुनाया है जिसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। इस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती समेत कुल 32 नेता थे जिन्हें आरोपी बताया गया था इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया है।
बाबरी विध्वंस मामले में कोर्ट का फैसला
सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी।
उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था।
हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग-अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके।
कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में शामिल थे। मामले के कुल 49 अभियुक्त थे, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है।
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