Balakot Air Strike: भारत की रक्षा नीति 'आत्मरक्षा' की रही है, न कि 'हमले' की। लेकिन जैसी कि कहावत है, जब जब कोई इसे छेड़ता है तो फिर भारत उसे छोड़ता भी नहीं। तीन साल पहले पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक इसी का उदाहरण है। पाकिस्तान को अभी सोचने-समझने का वक्त भी नहीं मिला था कि भारतीय वायुसेना के विमान उसकी सीमा में दाखिल होकर आतंकियों के कैंपों को निशाना बनाकर अपने वायु क्षेत्र में लौट आए। इस एयर स्ट्राइक ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया था, जिसे समझने में ही वक्त लग गया कि आखिर हुआ क्या?
पुलवामा हमले के बाद भारत की हालत किसी चोट खाई शेरनी की तरह थी, जो इस आतंकी हमले में जान गंवाने वाले अपने वीर सपूतों की शहादत का बदला किसी भी तरह से लेना चाहती थी और साथ ही एक नसीहत भी पड़ोसी मुल्क को देना चाहती थी कि अब बस बहुत हुआ, हम जख्मों को बर्दाश्त नहीं करेंगे, जरूरत हुई तो सीमा पार जाकर भी वार करेंगे और ऐसा हुआ भी। भारत ने अपने इस एक्शन से पाकिस्तान को साफ संदेश दिया तो दुनिया ने भी 'आत्मरक्षा' में उठाए गए इन कदमों को वाजिब करार दिया। भारत ने इसके लिए बेहद सटीक प्लान बनाया था और इसे कोडनेम भी खास किस्म का दिया गया था।
पाकिस्तान के खिलाफ एयरफोर्स के इस एक्शन को ऑपरेशन 'बंदर' नाम दिया गया था, जब भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद 26 फरवरी, 2019 को तड़के करीब 3:30 बजे नियंत्रण रेखा (LoC) ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा को पार करते हुए पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों पर बम बरसाए। जिस इलाके में भारतीय बलों ने बमबारी की, वहां आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ठिकाना था, जिसे भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक ने ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने सुखोई Su-30 का भी इस्तेमाल किया था।
भारतीय अधिकारियों ने जब ऑपरेशन 'बंदर' की प्लानिंग की थी तो इसमें गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा था। प्लानिंग से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, इस दौरान गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा गया। सूचना व तकनीक के इस दौर में जबकि सूचनाओं को लीक होते देर नहीं लगती, इस मामले में गोपनीयता बरतने के लिए ऑपरेशन से जुड़े अफसर मोबाइल फोन तक का इस्तेमाल नहीं करते थे। सबकुछ बस आमने-सामने की बातचीत से तय होता था। भारत का यह अभियान सफल रहा तो इसमें खुफिया तंत्र रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) की भूमिका भी अहम रही थी।
रॉ ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को लेकर सटीक जानकारी दी थी, जिसने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी। 14 फरवरी, 2019 को हुए इस आतंकी हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे। बालाकोट एयर स्ट्राइक के लिए ऑपरेशन 'बंदर' को लेकर सभी प्लानिंग वेस्टर्न एयर कमांड हेडक्वाटर्स के कंट्रोल स्टेशन से की गई थी। बालाकोट में जिन ठिकानों पर एयरफोर्स ने एयरस्ट्राइक की थी, वहां जैश के तकरीबन 500 से 600 आतंकियों की मौजूदगी की सूचना थी। भारत के लिए यह बड़ी सफलता थी तो पाकिस्तान के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था, जो ऑपरेशन 'बंदर' के जाल में बस उलझकर रह गया।
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