नई दिल्ली : पांच दिनों की यात्रा पर दिल्ली पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। अपनी इस यात्रा के दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रही हैं। मंगलवार को ममता की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ और आनंद शर्मा से हुई। ममता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद कजरीवाल से भी मिलने वाली हैं।
मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट कर रहीं ममता
विपक्ष के नेताओं के साथ बंगाल की सीएम की मुलाकात सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता की नजर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। मोदी सरकार के अभी ढाई साल बचे हुए हैं। ऐसे में वह भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष तैयार कर रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष से ममता की मुलाकात उनके 10 जनपथ स्थित आवास पर हुई।
ममता ने अपने इरादे जाहिर किए
गत अप्रैल में पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि वह एक पैर पर बंगाल जीतेंगी और दोनों पैरों से दिल्ली जीतेंगी। उन्होंने यह बयान हुगली के देबानंदपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए दिया था। नंदीग्राम में चुनाव अभियान के दौरान उनके पैर पर चोट लगी थी जिसके बाद वह उन्होंने वीलचेयर के सहारे चुनाव प्रचार किया। बंगाल चुनाव में भाजपा और टीएमसी के बीच काफी तीखी जुबानी जंग देखने को मिली। चुनाव नतीजों के बाद राज्य में हुई राजनीतिक हिंसा और मुख्य सचिव के तबादले के मामले पर दोनों पार्टियों के बीच टकराव देखने को मिला।
राष्ट्रीय राजनीति करेंगी टीएमसी प्रमुख
ममता ने अपने बयानों एवं गतिविधियों से स्पष्ट कर दिया है कि वह अब राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखेंगी। गत 21 जुलाई को शहीद दिवस के दिन उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए। शहीद दिवस पर आम तौर पर ममता अपना भाषण या तो अंग्रेजी में या बांग्ला में देती आई हैं लेकिन इस बार उन्होंने हिंदी में अपनी बात रखी। इसके जरिए उन्होंने अपनी बात बंगाल से बाहर अन्य प्रदेशों तक पहुंचाई। अपने कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कोरोना प्रबंधन मामले और कथित पेगासस जासूसी कांड पर मोदी सरकार पर हमला और उसे कठघरे में खड़ा किया।
विपक्षी मोर्चे को मजबूत बनाने में जुटीं ममता
केंद्र में मोदी सरकार के अभी करीब ढाई साल बचे हैं। ममता संसद और सड़क पर केंद्र सरकार को घेरना चाहती हैं। इसके लिए उन्हें एक मजबूत विपक्ष की जरूरत महसूस हो रही है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि ममता की इन मुलाकातों का सियासी मतलब है। वह भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का एक मजबूत मोर्चा तैयार करना चाहती है। उनके इस अभियान में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर मदद पहुंचा रहे हैं।
विपक्षी मोर्चा तैयार करने में पीके कर रहे मदद
पीके ममता और विपक्ष के नेताओं के बीच एक कड़ी के रूप में उभरे हैं। हाल के दिनों में उनकी मुलाकात राकांपा प्रमुख शरद पवार और गांधी परिवार के नेताओं से हुई है। संसद में भाजपा, कांग्रेस, डीएमके के बाद टीएमसी चौथी सबसे बड़ी पार्टी है। टीएमसी के लोकसभा में 22 और राज्यसभा में 11 सासंद हैं। अपने इन सांसदों के जरिए टीएमसी दोनों सदनों में विधेयक पारित करने के समय सरकार के सामने अवरोध खड़ा कर सकती है।
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