Bhabanipur Bypoll: पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी के लिए 30 सितंबर और 3 अक्टूबर दोनों दिन खास हैं। 30 सितंबर इसलिए कि भवानीपुर में उपचुनाव होना और 3 अक्टूबर इसलिए क्योंकि नतीजे आएंगे। लेकिन उससे पहले इस चुनाव पर कलकत्ता हाईकोर्ट की भी नजर है। कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने कई तरह के सवाल पूछे हैं। ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी की तरफ से प्रियंका टिबरेवाल चुनावी मैदान में हैं। लेकिन पहले बात करेंगे कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने भवानीपुर उपचुनाव के संबंध में सरकार से क्या सवाल पूछे।
कलकत्ता हाईकोर्ट के दो बड़े सवाल
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहला सवाल किया कि इतनी जल्दबाजी में चुनाव कराने की जरूरत क्यों हुई। दूसरा सवाल यह था कि इस चुनाव का खर्च कौन उठाएगा।
पहले सवाल के जवाब में पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि अगर तत्काल चुनाव नहीं होता तो राज्य में संवैधानिक संकट उठ खड़ा होता है।
हाईकोर्ट के तीखे सवाल
राजेश बिंदल और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उस याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा दायर एक हलफनामे को स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल की सीट से उप-चुनाव कराने के चुनाव पैनल के फैसले को चुनौती दी गई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 30 सितंबर को चुनाव लड़ेंगी। एचसी बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणियां कीं, जिसमें भवानीपुर में उपचुनाव कराने के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव से चुनाव पैनल द्वारा प्राप्त एक विशेष अनुरोध पर प्रकाश डाला गया था।मुख्य सचिव ने पत्र में कहा था कि अगर उपचुनाव तत्काल नहीं कराया गया तो "संवैधानिक संकट होगा"।
चुनाव का खर्च कौन उठाएगा
पीठ ने पूछा कि कुछ लोग चुनाव लड़ते हैं और जीतते हैं और फिर वे विभिन्न कारणों से इस्तीफा दे देते हैं। अब कोई किसी को दोबारा सीट से जीतने का मौका देने के लिए इस्तीफा दे रहा है। इस चुनाव का खर्च कौन उठाएगा? इस चुनाव के लिए करदाताओं का पैसा क्यों खर्च किया जाना चाहिए ।याचिकाकर्ता की दलीलों को देखते हुए हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से 6 सितंबर को जारी अधिसूचना के संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा।
संवैधानिक संकट के पीछे आधार क्या है
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार ”मुख्य न्यायाधीश बिंदल ने कहा कि अदालत ने अपने जवाब में चुनाव आयोग से जानना चाहा कि केवल भवानीपुर में उपचुनाव की अनुमति क्यों दी गई और आयोग ने यह क्यों सोचा कि अगर उपचुनाव तुरंत नहीं हुए तो संवैधानिक संकट पैदा हो जाएगा।हलफनामे में कुछ भी उल्लेख नहीं है, इसे किसने दायर किया? हम इसे रिकॉर्ड पर नहीं ले सकते।
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