फाइल फोटो 
देश आज शहीद दिवस मना रहा है। दरअसल, आज ही के दिन 90 साल पहले यानी 23 मार्च 1931 को महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। आजादी के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान को देश को हमेशा याद रखता है। भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों से युवाओं को काफी प्रेरणा मिलती है। यहां हम उनके बारे में बात करेंगे और उनके कुछ कथनों से भी आपको अवगत कराएंगे।
28 सितंबर 1907 को जन्मे भगत का पूरा जीवन ही 23 साल और चंद महीने का रहा। इतने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने जो कारनामे किए उन्हें आज भी याद किया जाता है। उनका 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा खूब प्रसिद्ध हुआ। यहां पढ़ें उनके कुछ क्रांतिकारी विचार
- मानव जाति क्रांति के अपने अपरिहार्य अधिकार से अपने स्वतंत्रता के जन्मसिद्ध अधिकार को हासिल कर सकती है। एक क्रांति ही समाज में बदलाव लेकर आती है।
- वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचल नहीं पाएंगे।
- मैं महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के आकर्षण से भरा हुआ हूं। लेकिन जरूरत के समय मैं सब कुछ त्याग सकता हूं।
- निर्दयी आलोचना और स्वतंत्र सोच क्रांतिकारी सोच के दो लक्षण हैं। प्रेमी, चाटुकार और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।
- किसी ने सच ही कहा है, सुधार बूढ़े आदमी नहीं कर सकते। वे तो बहुत ही बुद्धिमान और समझदार होते हैं। सुधार तो होते हैं युवकों के परिश्रम, साहस, बलिदान और निष्ठा से, जिनको भयभीत होना आता ही नहीं और जो विचार कम और अनुभव अधिक करते हैं।
- पिस्तौल और बम क्रांति नहीं लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
- व्यक्तियों को मारना आसान है लेकिन आप विचारों को मार नहीं सकते।
- जिंदगी को अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
- यदि बहरों को सुनना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा ध्येय किसी को मारना नहीं था।
- राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।
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