लॉकडाउन की कटु सच्चाई की झलक दिखाती है भारतबाला की डॉक्यूमेंट्री 'उठेंगे हम' 

लॉकडाउन पर बनाई गई फिल्मकार भारतबाला की डॉक्यूमेंट्री 'उठेंगे हम' कटु सत्य की झलक दिखाने के साथ-साथ लोगों को एक सकारात्मक संदेश देती है। डॉक्यूमेंट्री आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

Bharatbala Ganapathy's documentary Uthenge Hum gives glimpse of harsh truth of lockdown
लॉकडाउन पर फिल्मकार भारतबाला ने बनाई 'उठेंगे हम' डॉक्यूमेंट्री। 
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन की कुट सुच्चाई को बयां करती है फिल्मकार भारतबाला गणपति की डॉक्यूमेंट्री
  • देश के अलग-अलग हिस्सों के दृश्य मनुष्य का जीवन बदल जाने की दास्तां कहते हैं
  • डॉक्यूमेंट्री 'उठेंगे हम' निराश नहीं करती बल्कि हमें आगे बढ़ने के लिए हौसला देती है

किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भागती-दौड़ती जिंदगी अचानक से थम जाएगी। उम्मीदों के पंख पर लॉकडाउन की बंदिशों एवं बेड़ियों का पहरा हो जाएगा। किसी ने सोचा नहीं था कि शहर, गांव, कस्बे, खेत, खलिहान में खिलखिलाती एवं अठखेलियां करती और संपने सजोती जिंदगी पर विरानगी का साया पड़ जाएगा। लेकिन यह सब हुआ। एक वायरस ने हमारी जिंदगी बदल दी। मार्च 2020 में समय ने ऐसा करवट लिया कि कि हर तरफ सन्नाटा पसर गया। अपनी जिंदादिली के लिए पहचाने जाने वाला इंसान घरों में कैद होकर रह गया। 'क्वरंटाइन', 'आइसोलेशन' और 'सोशल डिस्टेंसिंग' जैसे शब्दों ने जीवन की एक नई परिभाषा गढ़ दी। एक वायरस ने भारत सहित पूरी दुनिया को एक तरह से अपना बंधक बना लिया।        

डॉक्यूमेंट्री के निर्माण में 100 ड्रोन का इस्तेमाल
कोविड-19 के खतरे से देश को बचाने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हुआ। चहल-पहल वाली जिंदगी को घरों एवं कमरों तक सिमट जाने के लिए बाध्य हो जाना पड़ा। चौराहे, सड़कों और गलियों में बस सन्नाटे का बसेरा हो गया। लॉकडाउन में ठहरे हुए देश की कभी न देखे गए दृश्यों को फिल्म निर्माता भारतबाला गणपति ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में बेहद खूबसूरती से पिरोया है। भारतबाला की 'उठेंगे हम' डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में की गई है। करीब 100 ड्रोन्स के इस्तेमाल से तैयार की गई इस डॉक्यूमेंट्री को तैयार करने में अन्य फिल्मकारों की मदद भी ली गई है। 

'कल जो था वह आज नहीं है'
डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत वीरान पड़े लाल किले के दृश्य से लॉकडाउन की घोषणा के साथ होती है। फिर एक-एक कर देश भर के अलग-अलग हिस्सों के दृश्य आपके सामने आते हैं। ये ऐसे दृश्य हैं जिसमें इंसान नहीं हैं उसकी गतिविधियां नहीं हैं। हर दृश्य में सूनापन एवं एक अजीब सा परेशान करने वाला सन्नाटा है। खाली सड़कें, रुकी हुई ट्रेनें, खाली स्टेशन, खेत, खलिहान, कारखाने, समुद्र तट, कस्बों एवं दुकानों का खालीपन देखने से यही लगता है कि हमारी जिंदगी अचानक से बदल गई है। कल जो था वह अब और आज नहीं है। इन सबके बावजूद डॉक्यूमेंट्री हमें निराश नहीं करती। डॉक्यूमेंट्री का संदेश कि 'फिर सुबह होगी' और 'उठेंगे हम' इस संकट से लड़ने का एक हौसला, ताकत और एक उम्मीद देता है।  

भारतबाला की डॉक्यूमेंट्री 'उठेंगे हम' उस कटु सच्चाई की झलक दिखाती है जिसका हम सभी सामना कर रहे हैं। यह डॉक्यूमेंट्री अपने आप में लॉकडाउन का एक ज्वलंत दस्तावेज है जिसे हम सभी को जरूर देखना चाहिए।    

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