नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव केस में गौतम नवलखा केस समेत आठ लोगों के खिलाफ एनआईए की तरफ से चार्जशीट दायर की गई है। एनआईए ने सिलसिलेवार हर एक शख्स की भूमिका के बारे में बताया है कि किस तरह से वैचारिक आवरण के जरिए ये लोग आदिवासियों के खिलाफ में शासन सत्ता के खिलाफ बगावत की आग को भड़का रहे थे। यहां एनआईए ने सोशल एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के खिलाफ सबसे अधिक चौंकाने वाली जानकारी दी है। मसलन गौतम नवलखा का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध था। वो एक तरह से उसके इशारे पर काम किया करते थे।
2012 के यूएस कोर्ट ऑर्डर का जिक्र
एनआईए ने 2012 के अमेरिका के एक कोर्ट ऑर्डर का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से नवलखा ने एफएआई के लिए कोर्ट से क्षमादान की अपील की थी। इसके साथ ही यह बताया कि किस तरह से नवलखा को आईएसआई के जनरल से मिलवाया गया था और उसका मकसद था कि किस तरह से नक्सली संगठन आईएसआई की मदद से कैडर की भर्ती करना चाहते थे।
विपक्ष को एनआईए पर भरोसा नहीं !
हालांकि एनआईए की इस तरह की दलील पर एनसीपी ने कहा कि पूरी जांच प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में है। अगर नवलखा के बारे में पहले ही जानकारी मिल गई तो चार्जशीट पेश करनी चाहिए थी।लेकिन यूएस कोर्ट के आर्डेर के आधार पर चार्जशीट पेश किए जाने का औचित्य ही नहीं है। उन्होंने कहा कि दरअसल राजनीतिक वजहों से इस तरह के कदम उठाए गए हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि विपक्षी दलों को राजनीति करने का अधिकार है। लेकिन तमाम ऐसे फैक्ट्स पब्लिक डोमेन में हमेशा मौजूद रहे हैं जिस पर संदेह नहीं किया जा सकता है
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