Bhopal Gas Tragedy: याद रहेगी वो सर्द स्‍याह रात, जिसने छीन ली हजारों जिंदगियां, दे गई कभी न भरने वाला जख्‍म

Bhopal Gas Tragedy: भोपाल में तीन दशक से भी अधिक समय पहले यूनियन कार्बाइड कैमिकल प्‍लांट से निकली जहरीली गैस के कारण कई पीढ़‍ियां अभिशप्‍त जीवन जीने को मजबूर हुईं।

Bhopal Gas Tragedy: याद रहेगी वो सर्द स्‍याह रात, जिसने छीन ली हजारों जिंदगियां, दे गई कभी न भरने वाला जख्‍म
Bhopal Gas Tragedy: याद रहेगी वो सर्द स्‍याह रात, जिसने छीन ली हजारों जिंदगियां, दे गई कभी न भरने वाला जख्‍म  |  तस्वीर साभार: BCCL

भोपाल :  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ये वही 2-3 दिसंबर की सर्द व स्‍याह रात थी, जब यूनियन कार्बाइड कैमिकल प्‍लांट से निकली जहरीली गैस मिथाइल आइसोनेट आसपास के लोगों के लिए कहर बनकर निकली और हजारों जिंदगियां काल के गाल के समा गईं। जो इस भीषण गैस कांड में बच वे कई विसंगतियों के साथ जीवन जीने को मजबूर हुए, जिसका गम उन्‍हें ताउम्र सालता रहा। सिर्फ एक पीढ़ी ही नहीं, कई पीढ़‍ियों ने इसका दंश झेला। बड़े-बजुर्ग से लेकर उस अजन्‍मे मासूम ने भी, जिसने अब तक इस दुनिया भर में आंखें भी नहीं खोली थी।

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र से निकली जहरीली गैस के कारण हजारों लोगों ने दम तोड़ दिया तो हजारों लोग विकलांगता के साथ जीवन जीने को मजबूर हुए, जबकि बड़ी संख्‍या में ऐसे लोग भी रहे, जो फेफड़ों से जुड़ी बीमारी के कारण पूरी जिंदगी हांफते रहे। सरकारी आंकड़े में मृतकों की संख्‍या 3800 के आसपास बताई गई है, जबकि पीड़‍ितों के लिए न्‍याय की मांग करने वाले संगठनों का मानना है कि उस भीषण त्रासदी में लगभग 20,000 लोगों ने जान गंवाई।

पीड़‍ितों को आज भी न्‍याय का इंतजार

इस भीषण हादसे ने न सिर्फ तब के मानव समाज को प्रभावित किया, बल्कि 36 साल बाद भी इसकी तकलीफ व पीड़ा वे महसूस कर रहे हैं, जिन्‍हें इस भयावह त्रासदी को झेला। उन्‍हें आज भी न्‍याय का इंतजार है, जिसकी आवाज वे अक्‍सर बुलंद करते रहते हैं। इसे तत्‍कालीन तंत्र की विफलता ही कहेंगे कि यूनियन कार्बाइड का मुख्‍य प्रबंध अधिकारी वॉरेन एंडरसन तब रातोंरात भारत छोड़कर अपने देश अमेरिका फरार हो गया, जबकि पीड़ित आज भी न्‍याय की बाट जोह रहे हैं।

भोपाल गैस त्रासदी प्रशासनिक तंत्र के कामकाज के तौर-तरीकों पर भी सवाल खड़े करती है, जिसने इस बारे में कई चेतावनियों को अनसुना कर दिया। 1969 में जब यहां यून‍ियन कार्बाइड का कीटनाशक संयंत्र खोला गया था, स्‍थानीय से लेकर राष्‍ट्रीय मीडिया ने भी इसमें सुरक्षा मानकों की अनदेखी का मुद्दा उठाया था। लेकिन राज्‍य व केंद्र सरकारोंर ने सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए अमेरिकी रासायनिक कंपनी डाव केमिकल्‍स को भोपाल में अपना कारोबार चलाते रहने की अनुमति दी, जिसकी परिणति भयावह मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आई।

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