रंजीता झा
टाइम्स नाउ नवभारत
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ कांग्रेस में चल रहा अंतरकलह आखिरकार सोमवार यानी 24 अगस्त को राहुल गांधी के दरबार मे आ ही गया। राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वाथ्य मंत्री टी एस सिंघदेव से 3 घंटे की मैराथन बैठक की।
लेकिन दिलचस्प बात ये है कि दोनों नेताओं के बीच तल्खी इतनी बढ़ चुकी है कि राहुल गांधी को दोनों नेताओं से अलग-अलग बैठक करनी पड़ी। हालांकि इस बैठक में फीडबैक देने के लिये प्रभारी पी एल पुनिया को भी बुलाया गया था। राहुल गांधी ने की बैठक में टी एस सिंघदेव से 15 मिनट और मुख्यमंत्री बघेल से डेढ़ घंटे मुलाकात की।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में राहुल गांधी ने बघेल से इस बात के लिये नाराजगी जताई कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी वो प्रदेश के बड़े नेताओं के सम्मान को नही बरकरार रख पाए। दरअसल पिछले दिनों कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह के जानलेवा हमला का आरोप से आहत टी एस सिंघदेव विधानसभा से बाहर निकल गए थे । बाद में इस मामले में प्रभारी पी एल पुनिया ने बीच बचाव की कोशिश की।
दोनों नेताओं के बीच दिखीं नाराजगी
बैठक खत्म होने के बाद तीनों नेता पैदल चलते हुए मीडिया तक पहुँचे,लेकिन गौर करने वाली बात ये थी कि मीडिया की तरह आते हुए भी ये नेता आपस मे बात नही करते दिखे।सामूहिक बयान देते है नेतृत्व परिवर्तन के सवाल को पूरी तरह नकार दिया। लेकिन आपसी तल्खी ने इस बात को बता दिया कि संकट खत्म नही बल्कि अभी और खिंचेगी।
पद को लेकर तकरार
गौर हो कि छत्तीसगढ़ में दिसंबर, 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री बघेल और स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के बीच रिश्ते सहज नहीं रहे। सिंहदेव के समर्थकों का कहना है कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री को लेकर सहमति बनी थी और ऐसे में अब सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए, हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने बघेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने का कोई संकेत नहीं दिया है। पिछले दिनों बघेल गुट और सिंहदेव गुट के बीच मतभेद उस वक्त और बढ़ गये जब कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर आरोप लगाया था कि वह उनकी हत्या करवाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। बृहस्पति सिंह को मुख्यमंत्री बघेल का करीबी माना जाता है।
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