नई दिल्ली: बजट सत्र के आखिरी हफ्ते में आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक हुई। बैठक में सोनिया गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी सहित सांसद मौजूद थे। बैठक में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर तो निशाना साधा ही, साथ ही अपने पार्टी के नेताओं को भी आश्वस्त किया कि पार्टी संगठन में जल्द बड़े बदलाव होंगे।
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए सोनिया गांधी ने सबसे पहले राज्यसभा से रिटायर हो रहे चार वरिष्ठ नेताओं का धन्यवाद किया । उन्होंने कहा चार बहुत वरिष्ठ और अनुभवी सहयोगी अभी हाल ही में राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए हैं, हमारी अगली बैठक से पहले और सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उनमें से प्रत्येक ने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत योगदान दिया है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं। मुझे विश्वास है कि वे सभी सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में किसी न किसी तरह से जुड़े रहेंगे और हमारी पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना जारी रखेंगे।
महंगाई और सांप्रदायिकता पर सरकार को घेरा
संसद के इस सत्र में बजट के साथ-साथ विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा हुई है। आप में से कई लोगों ने भाग लिया है और हमारी पार्टी के विचारों को जबरदस्त तरीके से रखा है। हमारे सांसदों द्वारा दोनों सदनों में सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को भी उठाया गया है बेशक, सरकार का रवैया नहीं बदला है।सोनिया गांधी ने MSME सेक्टर की अनिश्चित स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा की इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि किसानों से किए गए वादों को किसी भी तरह से पूरा किया जा रहा है। रसोई गैस और तेल, पेट्रोल, डीजल, उर्वरक और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें असहनीय सीमा तक बढ़ गई हैं और बढ़ती जा रही हैं। कुछ दिन पहले, हमारी पार्टी ने एक राष्ट्रव्यापी महंगाई-मुक्त भारत अभियान शुरू किया, जिसमें आप में से कई लोगों ने भाग लिया। यह आगे भी जारी रहेगा। सोनिया गांधी ने कहा की मुझे खुशी है कि पिछले दो वर्षों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की कम से कम दो ऐतिहासिक पहल, जिनकी प्रधानमंत्री ने कभी आलोचना की थी, हमारे करोड़ों लोगों के लिए तारणहार साबित हुई हैं। मैं निश्चित रूप से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और महात्मा गांधी मनरेगा की बात कर रही हूं।
सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं का विभाजनकारी और ध्रुवीकरण करने वाला एजेंडा अब राज्य दर राज्य राजनीतिक विमर्श की एक नियमित विशेषता बन गया है। नफरत और पूर्वाग्रह की इन ताकतों के खिलाफ खड़ा होना और उनका सामना करना हम सभी का काम है। हम उन्हें सदियों से हमारे विविध समाज को बनाए रखने और समृद्ध करने वाली मित्रता और सद्भाव के बंधन को नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे।सत्ता पक्ष विपक्ष, उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना जारी रखे हुए है। उनके खिलाफ राज्य मशीनरी की पूरी ताकत झोंक दी गई है। सत्ता में बैठे लोगों के लिए अधिकतम शासन का मतलब स्पष्ट रूप से अधिकतम भय और धमकी फैलाना है। इस तरह की धमकियां और हथकंडे हमें डराएंगे या चुप नहीं कराएंगे और न ही हम डरेंगे।
संगठन में होंगे अहम बदलाव
आखरी में सोनिया गांधी ने ये माना की पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली हार से पार्टी में निराशा का वातावरण है। उन्होंने कहा को मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं। वे चौंकाने वाले और दर्दनाक दोनों रहे हैं। हमारे प्रदर्शन की समीक्षा के लिए CWC की एक बार बैठक हो चुकी है और मैं कई नेताओं से अलग भी मिली हूँ जिसमें संगठन को मजबूत करने के बारे में कई सुझाव मिले हैं। कई प्रासंगिक हैं और मैं उन पर काम कर रही हूं। चिंतन शिवर करना भी बहुत आवश्यक है। वहीं अधिक संख्या में सहयोगियों और पार्टी प्रतिनिधियों के विचार सुने जाएंगे। वे हमारी पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले तत्काल कदमों पर एक स्पष्ट रोडमैप को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे कि हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनका सर्वोत्तम तरीके से सामना कैसे करें।
सोनिया ने कहा की आगे की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। हमारा समर्पण और दृढ़ संकल्प गंभीर परीक्षा की घड़ी से गुजर रहा है। हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता सर्वोपरि है और अपने लिए बोलते हुए, मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। हमारा पुनरुत्थान केवल हमारे लिए ही महत्व का विषय नहीं है - वास्तव में, यह हमारे लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक है।
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