2 मई की रात जोधपुर शहर एकाएक सुलग उठा। किसी को समझ में नहीं आया कि क्या हो गया। झंडा लगाने के मुद्दे पर विवाद शुरू हुआ और उसका असर आगजनी और हिंसा में हुई। इस संबंध में 13 एफआईआर के साथ 100 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। लेकिन सवाल कायम है कि जोधपुर में अमन के दुश्मन कौन थे। क्या साजिश के तहत हिंसा को अंजाम दिया गया या सिर्फ वो तात्कालिक घटना का नतीजा था। इस संबंध में टाइम्स नाउ नवभारत से तफसील से पड़ताल की है और जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक जोधपुर को जलाने की साजिश रची गई थी।
TIMES NOW नवभारत के स्टिंग ऑपरेशन में जो खुलासा हुआ उसके मुताबिक जोधपुर में जो कुछ हुआ वो पहले से तय था। कुछ लोगों ने जोधपुर को सुलगाने की साजिश रची गई। अबकी बार प्री प्लान से किया गया। प्लान से किया गया कि अब मेरे को पंगा करना है। सब नहीं थे इसमें, कुछ तत्व थे। ऐसा नहीं था कि सब इसमें थे। नमाज हो गई सब कुछ हो गया फिर क्यों कर रहे हैं ये। अच्छे आदमी आए थे न, वो यही कह रहे थे कि अरे, ये क्यों कर रहे हो।यहीं थे वो, जो एजेड आदमी थे वो यही कह रहे थे कि क्यों कर रहे हो। यहां तो पुलिस थी, आगे पुलिस कम थी। सिटी में घुसकर तोड़फोड़ करना, वहां बहुत तोड़फोड़ हुई। वहां दुकान भी तोड़े, वहां इन्होंने मनमर्जी की क्योंकि पुलिस कम थी।टुकड़ों में पुलिस होती तो ये नहीं होता। इनकी हिम्मत ही नहीं होती।
ट्रैफिक पुलिस का क्या है कहना
हिंसा की जगह पर पुलिस कम थी।
कुछ उपद्रवियों ने साजिश रची
पुलिसकर्मी के मुताबिक हिंसा सुनियोजित थी।
आरोप- प्रत्यारोप तेज
जोधपुर हिंसा के संबंध में सीएम अशोर गहलोत पहले ही कह चुके हैं अब बीजेपी के लिए राजस्थान सॉफ्ट टारगेट बन गया है। उन्होंने करौली हिंसा को बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा के सवाईमाधोपुर दौरे से भी जोड़ा था। उन्होंने कहा कि हमने हालात पर बेहतर तरीके से काबू किया नहीं तो दंगे भड़क सकते थे। बीजेपी के लोगों को कांग्रेस की सरकार रास नहीं आ रही है और उसका असर आप देख रहे हैं। हालांकि बीजेपी का कहना है कि अशोक गहलोत सरकार अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है।
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