बिहार में बुधवार (24 अगस्त, 2022) को नई सरकार (Mahagathbandhan) के बहुमत साबित करने से ठीक एक दिन पहले यानी 23 अगस्त, 2022 को वहां के विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने साफ कर दिया, "मैं सत्तारूढ़ महागठबंधन के विधायकों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद इस्तीफा नहीं दूंगा।" सिन्हा के हालिया बयान, तेवर और रुख से सियासी गलियारों में कयास लगाए गए कि वह फिर से सीएम नीतीश के साथ आर-पार के मूड में हैं।
हालांकि, दोनों के बीच इससे पहले विधानसभा में लगभग पांच महीने पहले तू-तू, मैं-मैं देखने को मिली थी। सुशासन बाबू तब बजट सत्र पर चर्चा के दौरान सिन्हा पर बुरी तरह बिफर गए थे और दोनों में तब गर्मा-गर्म बहस हुई थी। बहरहाल, फिलहाल अध्यक्ष के समर्थन में भाजपा के 76 सदस्य हैं, जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं।
इस्तीफे से मेरे स्वाभिमान को पहुंचेंगी ठेस- सिन्हा
भाजपा नेता ने दावा किया कि उनके खिलाफ लाया गया प्रस्ताव ‘‘झूठे’’ आरोपों पर आधारित है। साथ ही यह ‘‘विधायी नियमों’’ की परवाह किए बगैर लाया गया है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान वह बोले, ‘‘अविश्वास प्रस्ताव में लगता है कि नियमों (संसदीय नियम) की परवाह नहीं की गई है। मुझ पर पक्षपात और तानाशाही रवैये का आरोप लगाया गया है। दोनों आरोप साफ तौर पर झूठे हैं। ऐसी परिस्थितियों में इस्तीफा देने से मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी।’’
BJP का इस पर क्या होगा रुख?...इसका न दिया जवाब
उनके अनुसार, ‘‘मैं विस अध्यक्ष के रूप में मेरे खिलाफ लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव का प्रतिकार करते हुए इस्तीफा नहीं दूंगा। आसन से बंधे होने के कारण संसदीय नियमों और प्रावधानों से असंगत नोटिस को अस्वीकृत करना मेरी स्वभाविक जिम्मेवारी बनती है।’’ वैसे, यह पूछे जाने पर कि बुधवार को उनके दल का इस बाबत क्या रुख क्या होगा? इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
सत्र में हंगामे की आशंका, बोले- जो बात होगी वहीं करेंगे
बकौल सिन्हा, ‘‘मैं सदन के अध्यक्ष पद पर आसीन हूं। ऐसे में मैं इस संवैधानिक पद से जुड़े मानदंडों से बंधा रहूंगा। मेरी प्राथमिकता नियमों के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा।’’ उन्होंने यह भी बताया कि सदन की बात वहीं पर करेंगे। ऐसी में आशंका है कि बिहार विस का सत्र हंगामेदार हो सकता है। अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जो सभा सचिवालय से प्राप्त हुआ है...उसमें नियम, प्रवधान की स्पष्ट अनदेखी की गई है। साथ हीसंसदीय शिष्टाचार का भी पालन नहीं किया गया है। इस कारण इसे अस्वीकृत कर दिया गया।
"सिन्हा ने जो कुछ कहा, वह समझ से परे"
विस उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी इसे गलत परंपरा की शुरूआत बताया। कहा कि अध्यक्ष को नैतिकता का पालन करना चाहिए। जिसके खिलाफ ऐसा प्रस्ताव लाया जाता है, वह आसन पर नहीं बैठ सकता है। उसके बावजूद भी कोई जिद करे कि हम आसन पर बैठेंगे तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या होगी। सदन अंकों का खेल है। इस बीच, बिहार की नई महागठबंधन सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा, ‘‘सिन्हा ने जो कुछ कहा, वह समझ से परे है। कोई व्यक्ति संवैधानिक पद पर रहते और यह जानते हुए कि अब हम इस पद पर बने नहीं रह सकते, यह कहे कि हम इस्तीफा नहीं देंगे इसका कोई अर्थ नहीं है ।’’ (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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