बिहार में पिछले कई सालों से शराबबंदी कानून लागू है। राज्य में शराब तस्करी को लेकर सरकार-पुलिस कई गंभीर आरोपों के घेरे में है। हाल के दिनों में पुलिस शराब तस्करों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। इसी बीच खबर है कि भाजपा के एमएलसी देवेश कुमार शराब पीने के लिए पकड़े गए हैं। हालांकि उन्हें जमानत मिल गई है।
दोस्ती के चक्कर में पकड़ाए
दरअसल सात जुलाई को देवेश कुमार के दोस्त डॉ.संजय चौधरी की गाड़ी ने एक दूसरी गाड़ी को टक्कर मार दी। वहां पर जब उनकी बहस हुई तो उन्होंने अपने दोस्त देवेश कुमार को बुला लिया। बीजेपी नेता भी अपने बॉडीगार्ड के साथ पहुंच गए। इसी बीच वहां मौजूद लोगों ने इनका वीडियो बना लिया गया और शराब पीने का आरोप लगाया। जब पटना पुलिस को सूचना मिली तो उसने देवेश कुमार और उनके दोस्त को हिरासत में ले लिया। थाने लेकर चली गई। शराब की जांच के लिए ब्रेथ एनलाइजर टेस्ट के लिए जब पुलिस ने कहा तो उन्होंने कोरोना का हवाला देते हुए जांच से मना कर दिया। इसके बाद पुलिस ने ब्लड और पेशाब जांच के सैंपल लैब में भेज दिया। जिसके बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
पुलिस ने क्या कहा
बिहार पुलिस ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा- "देवेश कुमार को 7 जुलाई को एक सड़क दुर्घटना के सिलसिले में एक दोस्त के साथ पाटलिपुत्र पुलिस स्टेशन लाया गया था। उन्होंने ब्रेथ एनलाइजर से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उनके रक्त का नमूना फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा गया था। टेस्ट में पुष्टि हुई है कि उन्होंने शराब का सेवन किया है।"
बयान में कहा गया है कि पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत किया और भाजपा एमएलसी ने सोमवार को आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद उन्हें जमानत मिल गई।
अब क्या बोले बीजेपी नेता
भाजपा एमएलसी ने इस रिपोर्ट के बाद मीडिया से कहा- "मैंने कभी शराब को हाथ नहीं लगाया और निश्चित रूप से घटना के दिन नशे में नहीं था। जांच रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित है।"
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