नई दिल्ली: 'शराब मुक्त भारत' पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे देश में शराब पर प्रतिबंध लगाने की बात की। यह सामाजिक, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है। रविवार को उन्होंने कहा, 'इसे (शराब बंदी) न केवल आस-पास के राज्यों में बल्कि पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। यह महात्मा गांधी की इच्छा थी, उन्होंने कहा था कि शराब जीवन को नष्ट कर देती है।'
उन्होंने कहा कि पूर्व में कई बार देश में शराब बंदी लागू हो चुकी है, लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया था। बिहार में पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर द्वारा भी इसे लगाया गया था, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका।
नीतीश ने कहा, ' उन्होंने 2011 से बिहार में शराबबंदी लागू करने की योजना शुरू कर दी थी और 2016 में आखिरकार इसे लागू कर दिया, और फिर राज्य में जगह-जगह प्रतिबंध को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को बताया।'
'शराबबंदी का राजस्व पर नहीं पड़ता असर'
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा का शराबबंदी का राजस्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। शराबबंदी लागू करते समय मैंने कहा था कि सरकार लगभग 5000 करोड़ रुपए के राजस्व से वंचित होगी, पर इसकी दोगुनी राशि 1000 करोड़ रुपए उन परिवारों के बचेंगे जो इसे शराब पर खर्च करते हैं। यह पैसा अर्थव्यवस्था में अन्य रूपों में ही घूम रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी से समाज अधिक सशक्त, स्वस्थ और संयमी हो रहा है, जिसका प्रभाव बिहार की प्रगति में परिलक्षित होने लगा है। शराबबंदी से सबसे अधिक गरीबों को फायदा हुआ है और पूरे बिहार में शांति का माहौल कायम है।
'झारखंड में भी हो पूर्ण शराबबंदी'
नीतीश कुमार ने पहले झारखंड में भी पूर्ण शराबबंदी की बात की थी। उन्होंने कहा था कि झारखंड में भी पूर्ण शराबबंदी लागू होना चाहिए, यह कितनी खराब बात है कि बिहार में जो लोग शराब पीना चाहते हैं वे लोग शराब पीने के लिए झारखंड आते हैं। इससे समाज की अनेक कुरीतियां समाप्त हो जाती हैं और सामाजिक तानाबाना स्वस्थ और मजबूत होता है। राज्य में पूर्ण शराबबंदी की आवश्यकता है अन्यथा यह बड़ा ही अशोभनीय है कि बिहार में शराब की लत वाले लोग शराब पीने के लिए झारखंड का रुख करते हैं।
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