नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार होने पर जदयू के उसमें शामिल होने की अटकलों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच गए हैं। हालांकि जेडीयू ने उनकी आंख के इलाज के लिए दिल्ली आने की बात कही है। पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि यह एक व्यक्तिगत दौरा है। मैं यहां आंखों का इलाज कराने आया हूं। (यात्रा के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात की) कोई योजना नहीं है। यह पीएम मोदी पर निर्भर करेगा कि वह इसे (कैबिनेट विस्तार) कैसे और कब करते हैं। हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) नेता चिराग पासवान ने एलजेपी के विभाजन में नीतीश कुमार की भूमिका बताई थी। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, 'इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है। यह उनका आंतरिक मामला है। वह (चिराग पासवान) प्रचार के लिए मेरे खिलाफ बोलते हैं। हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है।'
'मुख्यमंत्री अपनी आंख के इलाज के लिए दिल्ली जा रहे'
जदयू 2013-2017 के दौरान एक अंतराल को छोड़कर लंबे समय से भाजपा की सहयोगी रही है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भगवा पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था, जिसके बाद मंत्रिमंडल में सहयोगी दलों के लिए 'प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व' के प्रस्ताव को नीतीश ने ठुकरा दिया था। लोकसभा में जद(यू) संसदीय दल के नेता और मुंगेर से सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर दिल्ली की यात्रा के क्रम में नीतीश के प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की चर्चा को अटकलबाजी बताते हुए सोमवार को कहा था, 'मुख्यमंत्री अपनी आंख के इलाज के लिए दिल्ली जा रहे हैं और जहां तक मंत्रिमंडल विस्तार की बात है यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। प्रधानमंत्री कब मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे और किससे परामर्श करेंगे यह उनका विशेषाधिकार है। उनके इस विशेषाधिकार को मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा से जोड़ना बेबुनियाद है।'
मंत्रिमंडल में शामिल होंगे ललन सिंह?
ललन सिंह को उन उम्मीदवारों में से एक के तौर पर देखा जा रहा है जो जद(यू) की ओर से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार होने पर जद(यू) की ओर से बनाए जाने मंत्रियों में एक और नाम जो चर्चा में है वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का है। पूर्व आईएएस अधिकारी आरसीपी ने सोमवार को पत्रकारों द्वारा इस बाबत पूछे जाने पर कहा था, 'मेरा नाम तो 2017 से आता रहा है तो ये स्वाभाविक है कि लोग अपने हिसाब से कयास लगाते हैं लेकिन ये अधिकार हमारे नेता का है और उन्होंने जब भी निर्णय लिया सभी से पूछकर ही लिया। यह अच्छा नहीं लगता कि हम राज्य में सत्ता में भागीदार हैं लेकिन केंद्र में नहीं, हालांकि हम वहां भी एनडीए का हिस्सा हैं। केंद्र सरकार में शामिल होने के बाद दोनों पार्टियों के लिए चीजें बेहतर होंगी।'
(भाषा के इनपुट के साथ)
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