नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से भाजपा गदगद है। यह जीत खास है। हारते-हारते या यूं कहें कि कांटे की टक्कर के बाद मिलने वाली जीत का अनुभूति अलग तरह की होती है। बिहार की यह जीत भगवा पार्टी में एक नए जोश और उत्साह का संचार किया है। भाजपा को यह जीत ऐसे समय मिली है जब अगले साल वह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी से टकराने के लिए अपनी तैयारियों में जुटी हुई है।
जाहिर है कि बिहार की भावनाओं का असर बंगाल में भी होगा। मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद किसी बड़े हिंदी भाषी राज्य में भाजपा की यह पहली बड़ी जीत है। इससे पहले उसे दिल्ली में हार का सामना करना पड़ा और महाराष्ट्र में सत्ता से दूर होना पड़ा।
बिहार चुनाव के साथ-साथ 11 राज्यों की 58 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने 41 सीटें अपने नामकर जीत का परचम लहराया है। बिहार और उपचुनावों की इस जीत ने भाजपा के आत्मविश्वास में भारी इजाफा किया है। अब वह दोगुने जोश एवं उत्साह के साथ अगले राज्यों में के चुनाव में जुटेगी। ये चुनाव परिणाम कई मायनों में अहम हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जनता ने केंद्र के साथ-साथ भाजपा शासित राज्यों की नीतियों में भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के उपचुनाव के नतीजे इसी ओर इशारा करते हैं।
उत्तर प्रदेश में आठ सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने सात सीटों पर जीत दर्ज की। यूपी उपचुनाव के नतीजे इस मायने में अहम हैं क्योंकि यहां 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। कोरोना संकट के दौरान यहां करीब 35 लाख प्रवासी मजूदर दूसरे राज्यों से लौटे। सूबे की कानून व्यवस्था, रोजगार एवं कोरोना संकट को लेकर विपक्ष लगातार योगी सरकार पर हमलावर था लेकिन नतीजों से जाहिर है कि लोगों का भरोसा योगी सरकार में बरकरार है। दूसरा, मध्य प्रदेश में भाजपा ने 28 सीटों में से 19 सीटों जीत दर्ज की है। भाजपा की इस जीत ने कांग्रेस के सत्ता में वापसी के उसके मंसूबे ध्वस्त कर दिए और अपनी नीव पहले से कहीं और मजबूत कर ली।
बिहार सहित अन्य राज्यों में मिली अपनी सफलता को भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी विकासशील योजनाओं की जीत बता रही है। चुनावी पंडितों का मानना है कि बिहार में करीब 30 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से लौटे। इनके लिए नवंबर तक मुफ्त राशन की व्यवस्था करने से इस बड़े तबके को बड़ी राहत मिली। किसानों के खातों में सलाना छह हजार रुपए सीधा हस्तांतरण, उज्ज्वला योजना, जन धन खाते, आयुष्मान भारत जैसी केंद्रीय योजनाएं जनता में भाजपा का जनाधार बढ़ाने का काम किया है। दूसरा राज्य में नीतीश कुमार की साफ-सुथरी छवि और उनकी 'सात निश्चय' वाली उनकी नीति चुनाव में एनडीए को जीत दिलाने में मददगार साबित हुई है। शराबबंदी जैसे कदमों से नीतीश कुमार की पैठ महिला वोटरों में पहले से है।
कुल मिलाकर बिहार और उपचुनावों के नतीजों ने मोदी सरकार एवं नीतीश सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई है। जीत से उत्साहित एवं आत्मविश्वास से लबरेज भाजपा पश्चिम बंगाल में और आक्रामक तरीके से अपने चुनावी अभियान को आगे बढ़ाएगी। 2019 के लोकसभा में चुनाव में 42 में से 18 सीटें जीतकर उसने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई है। ममता बनर्जी के गढ़ में वह मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में है।
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