साइबर क्राइम में कुख्यात जामताड़ा वाला मॉडल लोकल से ग्लोबल हो चुका है। समय के साथ इसने सूबों के साथ सरहदों के पार तक अपने पैर पसार लिए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि हाल ही में बिहार की राजधानी पटना में ठगों ने बैठे-बैठे अमेरिका मे 250 लोगों को मोटा चूना लगा दिया। मुख्यारोपी फिलहाल फरार है। साइबर ठगी के ये मामले जब पुलिस के पास आए, तो वह भी हक्की-बक्की रह गई। शहर की पुलिस अब इंटरपोल की मदद लेगी और मामले की जांच-पड़ताल करेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स में एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार के हवाले से बताया गया कि इस केस में दीघा थाना पुलिस की टीम ने तीन लोग अरेस्ट किए हैं। इनकी शिनाख्त दानिश अरशद, शब्बीर अहमद और आमिर सिद्दीकी के रूप में की गई। ये पश्चिम बंगाल के बताए जा रहे हैं। ये भोले-भाले लोगों को अपने साइबर क्राइम के चंगुल में फंसाने के लिए कई मोबाइल एप्स इस्तेमाल करते थे। मसलन स्काइप, टेक्स्ट नाऊ और रिंट सेंटर आदि।
बताया गया कि ये ठग पटना में साइबर क्राइम को फेक कॉल सेंटर से अंजाम दे रहे थे। चूंकि, इनकी अंग्रेजी ठीक थी, लिहाजा ये फर्राटेदार इंग्लिश में बाहरी लोगों को बहलाते-फुसलाते थे। वे इसके साथ ही उनको एक पॉप अप लिंक भी भेजते थे। अगर यूजर उसे गलती से क्लिक कर देता था तब उसके कंप्यूटर या डिवाइस में वायरस प्रवेश कर जाता था। इतना ही नहीं, वे इसके बाद "एनी डेस्क" के जरिए ठगी का शिकार बनाते थे।
दरअसल, जामताड़ा झारखंड का एक छोटा सा शहर, जो कि फिशिंग कैपिटल ऑफ इंडिया (Phishing capital of India) के तौर पर कुख्यात है। जामताड़ा के ठग गैंग आम तौर पर ओटीपी, केबीसी, लॉट्री और केवाईसी फ्रॉड को बड़ी ही चालाकी से अंजाम देते हैं। ठगी के मामलों को लेकर अप्रैल 2015 से मार्च 2017 के बीच 12 सूबों की पुलिस को 23 बार इस इस शहर के चक्कर लगाने पड़े थे।
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