पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं। विपक्ष जहां सत्ताधारी दल से सवाल कर रहा है, वहीं सत्ता पक्ष अपने कामकाज के दावे को भुनाने की कोशिश में जुटा है। इसी क्रम में भोजपुरी गाना यहां खूब हिट हो रहा है, जिसके जरिये पार्टियां मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने में जुटी हैं। इसी क्रम में पिछले दिनों चर्चित 'बम्बई में का बा' के रैप सॉन्ग पर आधारित कई गीत यहां खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। अब कांग्रेस ने भी ऐसा ही थीम सॉन्ग लॉन्च कर बिहार के सीएम से सवाल किया है।
कांग्रेस ने 'का किये हो?' थीम सॉन्ग के जरिये ठेठ अंदाज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किए हैं कि आखिर पिछले 15 वर्षों के अपने कार्यकाल में उन्होंने क्या किया है? इसकी शुरुआत जहां रेडियो पर संचालित किसी फरमाइशी कार्यक्रम की तरह की गई है, वहीं आगे चलकर इसमें प्रवासी मजदूरों के मुद्दों और कोरोना संकट को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली पार्टी से सवाल किए गए हैं। कांग्रेस का यह थीम सॉन्ग सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहा है, जिसमें बिहार के युवाओं में बेरोजगारी के मुद्दे पर भी सरकार से सवाल किए गए हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि अभिनेता मनोज वाजपेयी ने पिछले दिनों 'बम्बई में का बा' शीर्षक से एक रैप सॉन्ग वीडियो बनाया था, जिसमें अपने गांव-शहर को छोड़कर कामकाज की तलाश में मुंबई जैसे महानगरों में भटकने वाले प्रवासियों की पीड़ा दर्शाई गई थी। बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच भोजपुरी का यह रैप सॉन्ग खूब देखा और सुना गया। यह रैप सॉन्ग बिहार की चुनावी फिजा में तब और चर्चित हुआ, जब नेहा सिंह ने इसी तर्ज पर 'बिहार में का बा' गाकर यहां विकास के सरकारी दावों को लेकर सवाल किए और सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
प्रदेश सरकार के विकास के दावों पर चोट करने वाले इस गाने को विपक्षी दलों ने खूब भुनाने की कोशिश की। विपक्षी दलों ने राजधानी पटना की सड़कों पर कई पोस्टर भी लगाए और सरकार से इस बारे में सवाल किए। इसके जवाब में प्रदेश सरकार में जेडीयू की सहयोगी बीजेपी ने 'बिहार में ई बा' लॉन्च किया और इसके जरिये बताने का प्रयास किया कि बिहार में जेडीयू-बीजेपी के पिछले करीब डेढ दशक में कई विकास कार्य हुए। इसके जरिये पार्टी ने यह भी कहा कि एनडीए के कार्यकाल में बिहार तेजी से बदला है और कई विकास कार्य हुए हैं।
बहरहाल, बिहार में भोजपुरी के इन रैप सॉन्ग के ठेठ अंदाज को लोग पसंद तो खूब कर रहे हैं, लेकिन चुनाव में यह कितना असरदार साबित होता है और मतदाताओं के रूझान को यह किस कदर प्रभावित करता है, इसका पता तो 10 नवंबर के बाद ही चल पाएगा, जब बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा होगी।
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