BIHAR Results: जानिए बिहार में NDA की जीत के तीन सबसे बड़े कारण

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बीरेंद्र चौधरी
बीरेंद्र चौधरी | सीनियर न्यूज़ एडिटर
Updated Nov 15, 2020 | 15:28 IST

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है। सांतवी बार नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य की कमान संभालने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि एनडीए कैसे बिहार में जीतने में कामयाब रहा।

BIHAR Results Know the three biggest reasons for NDA victory
BIHAR Results: बिहार में NDA की जीत के तीन सबसे बड़े कारण 
मुख्य बातें
  • बिहार में एनडीए ने हासिल किया है बहुमत, महागठबंधन को मिली हार
  • नीतीश कुमार सोमवार को लेंगे सीएम पद की शपथ
  • एनडीए की जीत में कई कारणों ने निभाई अहम भूमिका

नई दिल्ली: 10 नवंबर 2020 की रात्रि में एनडीए ने बिहार विधान सभा चुनाव में इतिहास रचते हुए  लगातार चौथी बार नीतीश कुमार के नेतृत्व में 243 सीट में से 125 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया। कहा ये जा रहा था कि अबकी बार नीतीश कुमार सत्ता में नहीं आएंगे क्योंकि उनके 15 साल सत्ता के  खिलाफ हेवी एंटी इंकम्बैंसी है। कहा जा रहा था कि अबकी बार बिहार में आरजेडी नेता  तेजश्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि एनडीए सत्ता में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापस आ गयी।

इसी वजह से एनडीए की जीत पर सवाल उठने लगे कि आखिर बिहार में एनडीए की जीत कैसे हुई? एनडीए की जीत के कारण क्या  थे?  बिहार में एनडीए की जीत के तीन सबसे बड़े कारण रहे और वो कौन कौन से कारण हैं उसकी चर्चा आगे, लेकिन उससे पहले बिहार विधान सभा चुनाव के परिणाम को जानना बहुत जरुरी है।

बिहार विधान सभा परिणाम 2020, कुल 243 सीट

गठबंधन    2015  2020  नफा/ नुकसान
एनडीए    125  125    0
महागठबंधन 110  110  0
एलजेपी 2 1 1
अन्य 6 7 +2

मतलब साफ़ है कि एनडीए सत्ता में वापस , महागठबंधन सत्ता से दूर और अन्य की स्थिति में असद्दुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की बिहार की राजनीति  में धमाकेदार एंट्री।

चुनाव में एनडीए की स्थिति क्या रही? बिहार विधान सभा परिणाम 2020

पार्टी  2015  2020  नफा/ नुकसान
बीजेपी 53 74    +21
जेडीयू   71 43   -28
हम 1  4 +3
वीआईपी 00  4 +4

एनडीए में सबसे बड़ा गेनर रहा बीजेपी जिसे 21 सीटों का फायदा हुआ और भारी नुकसान जेडीयू को यानि 28 सीटों का ।

चुनाव में महागठबंधन की स्थिति क्या रही?  बिहार विधान सभा परिणाम 2020

गठबंधन    2015  2020  नफा/ नुकसान
आरजेडी  80  75 -5
कांग्रेस 27 19 -8
सीपीआई(एमएल)   3  12  +9
सीपीआई  -  2 +2
सीपीआईएम  -  2  +2

महागठबंधन में सबसे बड़ा गेनर रहा लेफ्ट पार्टी जिन्हें 29 में से 13 सीटें मिलीं।  सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा जिसे 70 में से सिर्फ 19 मिलीं।  वैसे आरजेडी को भी 5 सीटों का नुकसान ही हुआ।  लेकिन महागठबंधन सत्ता में नहीं आ पायी इसका सबसे बड़ा कारण रहा कांग्रेस।

चुनाव में एलजेपी की स्थिति क्या रही?

एलजेपी ने सीट तो जीता सिर्फ एक लेकिन एनडीए के 39 उम्मीदवारों को हरा दिया।  खासकर के एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ ही अपने उम्मीदवार खड़े किये थे और बड़ा नुकसान भी जेडीयू को ही भुगतना पड़ा यानी जेडीयू के 33 उम्मीदवार एलजेपी की वजह से चुनाव हार गए। 

चुनाव में एआईएमआईएम की स्थिति क्या रही?

बिहार विधान सभा परिणाम 2020

पार्टी   2015  2020  नफा/ नुकसान
एआईएमआईएम  - 5 +5
बीएसपी- - 1  +1
स्वंतंत्र 4 1  -3
आरएलएसपी  0   -2 
       

अन्य के खातों में सबसे बड़ा प्लेयर बना असद्दुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम जिसे बिहार विधान सभा चुनाव में पहली बार 5 सीटें मिलीं।  हालाँकि इससे पहले बिहार विधान सभा उपचुनाव में पार्टी ने एक सीट के साथ अपना खता तो खोल ही लिया था।  एआईएमआईएम ने सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाके में अपना परचम फहराया।

बिहार में एनडीए की जीत के तीन सबसे बड़े कारण क्या रहे?  

पहला कारण: महिला वोट

2010 के चुनाव से ही महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मत का प्रयोग किया है। अब देखिए महिलाओं के वोटों का रुझान क्या कहता है?

2010 के विधान सभा चुनाव में

पुरुष         51.12  %

महिला       54 . 49 %

3.37 % अधिक महिलाओं ने वोट किया

2015  के विधान सभा चुनाव में

पुरुष         53.32  %

महिला       60.48  %

7.17 % अधिक महिलाओं ने वोट किया

2020  के विधान सभा चुनाव में

पुरुष         54 .68   %

महिला       59 . 69 %

5 .01   % अधिक महिलाओं ने वोट किया

बिहार की महिलाओं ने 2010 के विधान सभा चुनाव से ही खुलकर नीतीश कुमार को अपना समर्थन दिया  है क्योंकि उससे पहले महिलाओं का वोट प्रतिशत  बहुत ही कम हुआ करता था क्योंकि 1990 से लेकर 2005 तक लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की आरजेडी सरकार 15 वर्षों तक चली। उन्हीं  15 वर्षों को जंगल राज कहा जाता है  जिसमें न बिजली थी , न रोड था ,न ही व्यवसाय था।  उस समय  अपहरण ही व्यवसाय था , गुंडागर्दी, किडनेपिंग और डकैती दिनचर्या थी।  दुखद बात ये है कि ये सब चीज़ सोशल जस्टिस के नाम पर हुआ करता था।  लेकिन 2005 के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी और धीरे धीरे नीतीश  कुमार ने बिहार को पटरी पर लाने का प्रयास किया। बिहार के जंगल राज में सम्पूर्ण बिहार तबाह हो गया और उस तबाही में सबसे बड़ा नुकसान हुआ बिहार की महिलाओं का। आलम ये था कि बिहार की राजधानी पटना में शाम छः बजे के बाद सड़कों एक एक लड़कियां नहीं दिखती  क्योंकि किसका कब  अपहरण होगा कोई नहीं जानता था।  ऐसी स्थिति से बिहार को किसने निकाला नीतीश  कुमार ने, और यही कारण है कि बिहार की महिला बढ़ चढ़ कर नीतीश  कुमार को अपना वोट देती हैं।  दूसरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन ने महिलाओं को और भी प्रेरित किया कि वो अपना मत पीएम मोदी और सीएम नीतीश को  दें। इसलिए कहते हैं  कि 5 फीसदी महिलाओं ने मोदी और नीतीश को ही अपना वोट दिया और एनडीए की जीत का सबसे बड़ा कारण बना।  

दूसरा कारण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  की रैली

पीएम मोदी ने बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान 12 रैली को सम्बोधित किया। तक़रीबन बिहार के हर रीजन को पीएम ने पूरी तरह से कवर किया।  खास बात ये है कि पीएम मोदी और पब्लिक के बीच एक खास कनेक्ट बन चूका है जिसकी वजह से संवाद सीधा सीधा बनता है।  दूसरा पीएम मोदी मोदी हमेशा महिलाओं को वोट डालने को आगाह करते हैं।  पीएम मोदी ने अपने 12 रैली के द्वारा 101 विधान सभा सीट को कवर किया जिसमें से एनडीए को 59 सीटों पर जीत मिली।  इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि पीएम मोदी और पब्लिक में कितना सीधा सीधा कनेक्ट है और जिसका फायदा एनडीए को मिलता है और बिहार में वही हुआ।

तीसरा कारण : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी की रैली

पीएम मोदी के बाद सीएम योगी  बीजेपी के दूसरे नेता हैं जिनका कनेक्ट पब्लिक से सीधा सीधा है चाहे वो त्रिपुरा का चुनाव हो या कर्नाटक का बीजेपी हमेश सीएम योगी को चुनावी जुंग में उतारता है और फायदा पार्टी को सीधे सीधे मिलता है वही बात बिहार में हुआ।  सीएम योगी ने बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान 19  रैली की जिसमें 75 विधान सभा सीट कवर किया और उस 75 में से एनडीए को 50 सीटें मिली। 

इसका अर्थ क्या है? यानी यदि नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इंकम्बैंसी रहा भी होगा तो उसको इन तीन फैक्टर्स ने पूरी तरह से ख़त्म कर दिया।  कुल मिलाकर  कह सकते हैं  कि इन्हीं 3 कारणों महिला का वोट , पीएम मोदी और सीएम योगी की रैली की वजह से बिहार में एनडीए एंटी इंकम्बैंसी को भेदते हुए चौथी  बार सत्ता में आ गयी और अब नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय है।

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