Bihar News : बिहार की राजनीति में एक बार फिर संकट का दौर शुरू हो गया है। राज्य में जद-यू एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठबंधन में दरार की खबरों के बीच राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को इस सियासी संकट में अपने लिए एक मौका दिख रहा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा और जद-यू में दरार पड़ गई है और नीतीश कुमार भाजपा से अलग होने का ऐलान कर सकते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि नीतीश, राजद, कांग्रेस और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। इस बीच, राजद सांसद मनोज झा ने बड़ा बयान दिया है।
हम राजनीतिक अस्थिरता नहीं देख सकते-जेडीयू
राजद सांसद झा ने सोमवार को दिल्ली में कहा कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी है और पार्टी राज्य में राजनीतिक अस्थिरता नहीं देख सकती। बिहार के लिए जो भी बेहतर होगा पार्टी उस हित में फैसला करेगा। राजद नेता के इस बयान से संकेत समझा जा सकता है कि राज्य में अगर अगली सरकार बनती है तो उसमें राजद अहम भूमिका निभाने जा रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि नीतीश कुमार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात हुई है।
राजीव रंजन ने भाजपा पर साधा निशाना
गठबंधन में दरार की खबरों के बीज जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने भी भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा से उसके सभी पुराने सहयोगी दूर हुए। गठबंधन को बनाए रखने की जिम्मेदारी भाजपा की है। नेताओं के मन में आज भी 2020 की टीस है। चुनाव में चिराग पासवान ने जद-यू को नुकसान पहुंचाया लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा चुप रही। चिराग को रोकने के लिए उसकी तरफ से कुछ नहीं किया गया। चिराग ने नुकसान नहीं पहुंचाया होता तो जद-यू बिहार की सबसे बड़ी पार्टी होती।
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राजद और जदयू के सीटों का आंकड़ा 124
बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में 79 सीटें जीतकर राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। दूसरे नंबर पर भाजपा रही। उसे इस चुनाव में 77 सीटें मिलीं। तो जद-यू के खाते में 45 सीटें गईं। जद-यू की कम सीटें होने के बावजूद भाजपा ने नीतीश को राज्य का सीएम बनाया। अब अगर गठबंधन से नीतीश अलग हो जाते हैं तो राजद और जदयू के सीटों का आंकड़ा 124 हो जाता है। जबकि सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।
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