रायपुर : सरकार ने नक्सलियों के 'खूनी खेल' का खात्मा करने का मन बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ के जांबाज कोबरा कमांडो का नरसंहार होने के बाद केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार इस बात पर एकमत हैं कि नक्सलियों के खिलाफ एक व्यापक एवं निर्णायक अभियान चलना चाहिए। पिछले दो सप्ताह में नक्सिलयों के हमले में 27 सुरक्षाबलों की जान गई है जबकि 46 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। सोमवार को शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई को सरकार अंजाम तक ले जाएगी। शाह का बयान भी बहुत कुछ इसी तरफ इशारा करता है।
एक महीने के भीतर शुरू हो सकता है अभियान
टीओआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस बात के संकेत हैं कि गुरिल्लाओं को मार गिराने एवं नक्सलियों के गढ़ में उन्हें मात देने के लिए सुरक्षाबल एक महीने के भीतर एक बड़ा ऑपरेशन लॉन्च कर सकते हैं। अपने इस अभियान में सुरक्षाबल सटीक एवं प्रभावी वार करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार से जुड़े अलग-अलग सूत्रों का कहना है कि एक अभियान चलाकर नक्सल कमांडर हिडमा को निष्क्रिय करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार सहमत हैं। बीजापुर में कोबरा कमाडोंज पर हमले के पीछे हिडमा का होना बताया जा रहा है। चर्चा है कि यह घात लगाकर हुआ यह हमला हिडमा के मास्टरमाइंड की उपज था। शनिवार को हुआ यह हमला बीते दशक में सुरक्षाबलों पर सबसे बड़े हमलों में से एक माना जा रहा है।
गृह मंत्री ने की है समीक्षा बैठक
टेकुलगुड़ा नरसंहार के बाद सोमवार को गृह मंत्री शाह ने समीक्षा बैठक की। इस बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, केंद्रीय गृह सचिव एके भल्ला, भारत सरकार के सुरक्षा सलाहकार के विजयकुमार, सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह, खुफिया ब्यूरो के डाइरेक्टर अरविंद कुमार, छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी, स्पेशल डीजी (नक्सल अभियान) अशोक जुनेजा और अन्य अधिकारी शामिल हुए। एक अधिकारी ने बताया कि 'नक्सलियों के खिलाफ अभियान छेड़ने के लिए इस बैठक में एक विस्तृत अभियान की रूपरेखा बनी।'
नक्सलियों का गढ़ माना जाता है बस्तर का इलाका
बताया जाता है कि इस हमले के बाद तेलंगाना और ओडिशा से लगे सुकमा के जंगलों में सक्रिय कुछ नक्सली कमांडरों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाई गई है। सूत्रों का कहना है कि गुरिल्लाओं के खिलाफ एक संयुक्त अभियान शीघ्र शुरू हो सकता है। बता दें कि बस्तर का दक्षिणी भाग नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। यहां से नक्सली महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा में आसानी से दाखिल हो जाया करते हैं। किसी बड़े हमले को अंजाम देने के लिए अलग-अलग राज्यों से नक्सलियों के जत्थे को रवाना किया जाता है। हमला करने के बाद ये नक्सली वापस अपने इलाकों में लौट जाते हैं।
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