नेपाल को बिपिन रावत की नसीहत, संबंध बनाएं लेकिन याद रखें श्रीलंका का हश्र

नेपाल के नए नक्शे के बाद भारत और नेपाल के संबंध द्विपक्षीय संबंध पटरी से उतर गए थे लेकिन नवंबर में रॉ प्रमुख और फिर सेना प्रमुख के दौरे के बाद दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट कम हुई है।

Bipin Rawat says Nepal is free to act but must be vigilant & learn from Sri Lanka
नेपाल को बिपिन रावत की नसीहत। 

नई दिल्ली : चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को नेपाल को नसीहत देते हुए कहा कि पड़ोसी देश अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपने हितों के अनुरूप संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र है लेकिन उसे ऐसा करते समय सजग रहने और श्रीलंका एवं दूसरे देशों से सीख लेन की जरूरत है। इन देशों ने भी दूसरे देशों के साथ करार किए थे। जाहिर है कि सीडीएस रावत का इशारा चीन की तरफ था। चीन के करीबी रहे दक्षिण एशिया के दो देश श्रीलंका और मालदीव पर बीजिंग का भारी कर्ज है। मौजूदा समय में कर्ज भुगतान को लेकर मालदीव का चीन के साथ विवाद भी सामने आया है। 

चीन के कर्ज जाल में उलझा श्रीलंका
श्रीलंका मान चुका है कि हंबनटोटा बंदरगाह को लीज पर चीन को देना एक 'गलती' थी और उसके कर्ज में दबा हुआ है। हाल ही में चीन के रक्षा मंत्री जनरल वे फेंग गत नवंबर के अंतिम सप्ताह में अपने एक भारी भरकम शिष्टमंडल के साथ नेपाल की यात्रा पर आए थे। अपने इस दौरे के दौरान उन्होंने काठमांडू के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने एवं आपसी संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने के बार में चर्चा की। 

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पटरी से उतर गए थे भारत-नेपाल के संबंध
नेपाल के नए नक्शे के बाद भारत और नेपाल के संबंध द्विपक्षीय संबंध पटरी से उतर गए थे लेकिन नवंबर में रॉ प्रमुख और फिर सेना प्रमुख के दौरे के बाद दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट कम हुई है। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने भी नवंबर महीने में नेपाल का दौरा किया। विदेश सचिव और सेना प्रमुख के दौरे के बाद दोनों देशों के बीच जमी बर्फ पिघलना शुरू हुई  है। 

गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाता है चीन
चीन गरीब देशों को अपने कर्ज में जाल उलझाकर विकास के नाम पर उनके संसाधनों पर कब्जा करता है और फिर अपने हितों की पूर्ति करता है। यह बात श्रीलंका को समझ में आ गई है। मालदीव को भी चीन ने भारी मात्रा में कर्ज दे रखा है। मालदीव के राष्ट्रपति ने कुछ दिनों पहले इस कर्ज को लेकर ट्वीट किया जिस पर चीन के राजदूत ने प्रतिक्रिया दी।   

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