नई दिल्ली: नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निष्कासित करने के एक दिन बाद दिल्ली बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं को सलाह दी है कि वे सिर्फ नरेंद्र मोदी सरकार की आठ साल की उपलब्धियों के बारे में ही बात करें। दिल्ली बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं को यह भी सलाह दी कि टीवी डिबेट में हिस्सा लेने के दौरान बोलने से पहले सोच लें और हद पार न करें।कहा जा रहा है कि अब केवल आधिकारिक प्रवक्ता और पैनलिस्ट ही टीवी चैनलों की डिबेट में जाएंगे।
इन्हें पार्टी का मीडिया सेल असाइन करेगा। किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं बोलना है, धर्म के पूजनीयों और प्रतीकों के बारे में नहीं बोलना वहीं संयमित भाषा का प्रयोग करना है। उत्तेजित और उद्वेलित नहीं होना। किसी के उकसावे पर भी पार्टी की विचारधारा और सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करना है।
किसी भी टीवी डिबेट पर जाने से पहले विषय का पता करें। उसके बारे में तैयारी करें। उस पर पार्टी की लाइन पता कर जाएँ, हमें अपने एजेंडे पर रहना है किसी के ट्रैप पर नहीं आना । गरीब कल्याण के लिए किए गए कामों को जनता तक पहुँचना है।
दिल्ली बीजेपी ने रविवार को अपने मीडिया प्रमुख नवीन जिंदल को पैगंबर मुहम्मद पर उनकी सोशल मीडिया टिप्पणी के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को टीवी पर एक बहस के दौरान पैगंबर मुहम्मद पर उनकी टिप्पणी के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है।
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि प्रवक्ताओं को केवल मोदी सरकार के कार्यो के बारे में बोलने के लिए कहा जाता है और कुछ नहीं।दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'हमारे प्रवक्ताओं को स्पष्ट निर्देश जारी किया गया है कि वे मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने के उत्सव की थीम 'सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण' के बारे में ही बात करें। दिल्ली बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि जिंदल के खिलाफ रविवार की कार्रवाई के बाद राज्य नेतृत्व को लगता है कि पार्टी प्रवक्ताओं और टीवी पैनलिस्टों को बहस के दौरान सीमा पार नहीं करनी चाहिए और बोलने से पहले दो बार सोचना चाहिए।
दिल्ली बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि प्रवक्ताओं से कहा गया है, 'शब्दों को सावधानी से चुना जाना चाहिए, ताकि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे। हमारे प्रवक्ताओं को विभिन्न मुद्दों या विषयों पर पार्टी का बचाव करना चाहिए, लेकिन ऐसा करते समय वे यह भी सुनिश्चित करें कि उनके शब्दों से किसी व्यक्ति की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे या किसी धार्मिक नेता का अपमान न हो।' यह भी पता चला है कि प्रवक्ताओं को सलाह दी गई है कि यदि संभव हो तो धार्मिक मुद्दों पर बहस में भाग लेने से बचें, लेकिन अपनी विचारधारा या मुख्य एजेंडे पर पार्टी का बचाव करना जारी रखें।
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